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Dr. Yogesh Vyas

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लग्न के अनुसार विदेश यात्रा योग

ज्योतिष शास्त्र में जन्म पत्रिका द्वारा ग्रहों का अध्ययन करके मानव के जीवन में होने वाली घटनाओं एवं भूत, भविष्य व वर्तमान के परिणामों का अनुमान लगाया जाता है। आज विदेश जाने की इच्छा लगभग हर किसी की होती है। कोई पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना चाहता है तो कोई कारोबार के लिए। ज्योतिष के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में विदेश यात्रा के योग हों तो उसे किसी ना किसी कारण से विदेश जाने का मौका मिल ही जाता है। जब तक आपकी कुंडली में विदेश यात्रा के योग नहीं है तब तक इस दिशा में आपके प्रयत्न विफल होगे।

कुंडली का तीसरा भाव छोटे समय की यात्राओं के लिए देखा जाता है। कुंडली का बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है। वहीं, विदेश यात्रा के लिए चंद्रमा को नैसर्गिक कारक ग्रह माना गया है। दशम भाव आजीविका के क्षेत्र के बारे में बताता है। शनि ग्रह भी आजीविका के नैसर्गिक कारक होते हैं। विदेश यांत्रा के लिए कुंडली में बारहवें भाव, दशम भाव, चंद्रमा और शनि की स्थिति का अध्यनन किया जाता है। पहले लोग समुद्र से यात्रा करते थे, इसलिए कर्क, मीन, वृश्चिक राशि और चंद्रमा की भूमिका होती थी लेकिन आज के समय में हवाई यात्रा भी होने लगी है। विदेश में सफल होने के लिए शनि, राहु और मंगल का भी बलवान होना ज़रूरी है। आइये जानते हैं कि लग्रानुसार किसी जातक का विदेश यात्रा का योग कैसे बनता है।

लग्रानुसार विदेश यात्रा के योग--
● मेष लग्न- मेष लग्न के जातकों के लिए बुध की दशा में छोटी व गुरु की दशा में लम्बी और विदेश यात्राओं के भी योग बनते हैं। ऐसे जातकों की कुंडली में अगर शनि बेहतर स्थिति में हो तो विदेश में अच्छी सफलताएं भी अर्जित कर पाते हैं। शनि भगवान की आराधना विदेश में अच्छा लाभ दिला सकती है।

● वृषभ लग्न- वृष लग्न के जातकों के लिए शनि की बेहतर स्थिति धार्मिक यात्राएं कराती है। इस राशि में चंद्रमा की दशा में छोटी व मंगल की दशा या अंतरदशा में लम्बी यात्राओं और विदेश जाने के योग बनते हैं। इन जातकों की कुंडली में गुरु बेहतर स्थिति में होने पर विदेश में सफलताएं अर्जित करना आसान हो जाता है। गुरु का लाभ लेने के लिए विदेश में जातक को नियमित रूप से मंदिर जाना चाहिए।

● मिथुन लग्न- इस लग्न के जातकों को शनि की शुभ स्थिति धार्मिक यात्राएं कराती है। जातक सूर्य की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं और शुक्र की दशा या अंतरदशा में लम्बी दूरी या अधिक समय तक घर से दूर रहने वाली यात्राएं करते हैं। विदेश में अच्छा लाभ अर्जित करने के लिए इन जातकों को हनुमान की आराधना करनी चाहिए।

● कर्क लग्न- कर्क लग्न के जातक बुध की दशा या अंतरदशा में छोटी और विदेश यात्रा भी करते हैं। कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में होने पर ये जातक यात्रा भी विलासितापूर्ण अंदाज में करते हैं। ऐसे जातकों को यात्रा के दौरान थोड़ी भी असुविधा परेशान कर देती है।

● सिंह लग्न- सिंह लग्न के जातक चंद्रमा की अंतरदशा में विदेश यात्रा और शुक्र की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं! परदेस की इनकी सफलता का आधार बुध की स्थिति है। अगर इनकी कुंडली में बुध बेहतर स्थिति में है तो बुध के वक्री, मार्गी, अस्त और उदय होने से इनके लाभ प्रभावित होते हैं।

● कन्या लग्न- कन्या लग्न के जातक सूर्य की दशा में विदेश यात्राएं करते हैं। शुक्र की बेहतर स्थिति इनको धार्मिक यात्राएं कराती हैं। कन्या लग्न के जातक को मंगल की दशा या अंतरदशा में घर से कुछ समय के लिए बाहर रहने का मौका मिलता है। विदेश में सफलता इन जातकों की चंद्रमा की स्थिति पर निर्भर करती है। शिव आराधना इन जातकों को विदेश में बेहतर सफलता दिला सकती है।

● तुला लग्न- तुला लग्न के जातकों को गुरु की दशा या अंतरदशा में यात्रा करने का मौका मिलता है। बुध की अंतरदशा में ये जातक घर से अधिक दूरी की यात्राएं कर पाते हैं। विदेश में लाभ हासिल करने के लिए ऐसे जातकों की कुंडली में सूर्य बेहतर स्थिति विदेश में सफलता दिला सकती है।

● वृश्चिक लग्न- वृश्चिक लग्न के जातकों को शुक्र की दशा या अंतरदशा में घर से दूर यात्रा करने का मौका मिलता है। इस लग्न के जातकों को शनि की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करनी पड़ती हैं। शनि की दशा में ये जातक कई बार यात्राएं कर वापस घर लौटते हैं। ऐसे जातकों की कुंडली में बुध की बेहतर स्थिति विदेश में सफलता दिला सकती है।

● धनु लग्न- इस लग्न के जातकों को शनि की दशा या अंतरदशा में घर से छोटी यात्राएं करने का मौका मिलता है। लम्बी यात्राएं करने या अधिक समय तक विदेश में सफलता के लिए इन जातकों को मंगल की बेहतर स्थिति का सहयोग लेना पड़ता है। कुंडली में शुक्र की बेहतर स्थिति से जातक विदेश जाकर अच्छा धन और सफलताएं अर्जित करते हैं।

● मकर लग्न- इस लग्न के जातक गुरु की दशा या अंतरदशा में छोटी या लम्बी दूरी दोनों तरह की यात्राएं करते हैं। गुरु की दशा या अंतरदशा में विदेश यात्राएं भी करते हैं। कुंडली में मंगल की बेहतर स्थिति विदेश में लाभ दिलाती है। हनुमान जी की आराधना इन जातकों के लिए विदेश में सफलता दिलाती है।

● कुंभ लग्न- इस लग्न के जातकों को शनि की दशा या अंतरदशा लम्बी दूरी की यात्राएं कराती हैं। ऐसे जातक मंगल की दशा या अंतरदशा आने पर छोटी यात्राएं करते हैं। वहीं विदेश में इनको लाभ गुरु की स्थिति पर निर्भर करता है। विष्णु की आराधना इनको विदेश में सफलता दिलाने वाली होती है।

● मीन लग्न- इस लग्न के जातक शनि की दशा या अंतरदशा में विदेश यात्रा करते हैं। ऐसे जातक शुक्र की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं ! शनि बेहतर स्थिति में बैठा और शुभ हो तो जातक न केवल लम्बी विदेश यात्रा करता है बल्कि अच्छी सफलताएं भी दिलाता है।

● विदेश यात्रा के लिए ये उपाय कर सकते हैं- रोज सुबह उठकर तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करें। जल में लाल मिर्ची के दाने डालें। इस उपाय से सूर्य प्रसन्न होते हैं और इससे आपके विदेश जाने के योग बनते हैं। विदेश यात्रा के लिए हस्त निर्मित विदेश यात्रा यंत्र का प्रयोग भी शुभ और उत्तम माना जाता है।

● व्यापार अथवा करियर में धन लाभ के लिए व्यक्ति को अपने पूजा घर में हस्त निर्मित लक्ष्मी बीसा यंत्र, संपूर्ण वास्तु यंत्र, हस्त निर्मित एवं रत्न जड़ित संपूर्ण श्री यंत्र के साथ ही गोमती चक्र युक्त कछुआ और गोमती चक्र युक्त स्वास्तिक का प्रयोग करना भी बेहद शुभ और उत्तम फलदायक माना जाता है।

■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से संपूर्ण कुंडली के परामर्श करने के बाद ही किसी सार्थक निर्णय पर पहुंचना उचित माना जाता है।

Website- www.astrologeryogesh.com
डॉ योगेश व्यास, ज्योतिषाचार्य (टॉपर),
नेट (साहित्य एवं ज्योतिष), पीएच.डी (ज्योतिषशास्त्र)
Contact for Astrology and Vastu- 8696743637, 8058169959

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