वास्तु और हमारा स्वास्थ्य(Vastu and Our Health)-
कैक्टस घर में कभी भी नहीं रखना चाहिए क्योंकि इसके तीखे कांटों से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति तनावग्रस्त, उदास एवं थका हुआ महसूस करता है। वास्तु के अनुसार घर में फर्नीचर , बेडशीट, कुशन, टाइल्स इत्यादि के लिए हल्के रंगों का चयन करना अच्छा माना जाता है क्योंकि, हल्के रंगों से मन शांत व शरीर स्वस्थ रहता है । घर में वास्तु दोष मानसिक तनाव देने के साथ ही स्वास्थ्य को भी खराब करते हैं इसलिए पूजा घर में हस्तनिर्मित संपूर्ण वास्तु यंत्र लगाने से भी वास्तु दोषों में काफी कमी देखने को मिलती है। इस यंत्र में लगे रत्न नकारात्मक ऊर्जा को शोखकर पॉजिटिव एनर्जी को घर में प्रवाहित करते हैं।
हाई और लो ब्लड प्रेशर वाले लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से उनके रक्तचाप में काफी सुधार देखने को मिलता है और नींद भी अच्छी आती है। किसी भी बीम के ठीक नीचे दंपति के सोने पर वह शारीरिक और मानसिक रूप से एक दूसरे से धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और उनके स्वास्थ्य पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पडता है। बीम के नीचे बैठकर भोजन करने से भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं। उत्तम स्वास्थ्य के लिए घर में तुलसी का पौधा अशुभ ऊर्जा को दूर करके गंदी हवा को भी स्वच्छ बनाता है ।
पूर्व दिशा को थोड़ा खुला छोड़ देना चाहिए इससे परिवार के मुखिया का जीवन काफी सुखी और स्वस्थ रहता है। जब दक्षिण -पश्चिम तथा दक्षिण का भाग नीचे हो और उत्तर तथा उत्तर- पूर्व का हिस्सा घर में ऊंचा बना हुआ हो तो वहां भू स्वामी को मानसिक अस्थिरता और शारीरिक पीड़ा देखने को मिलती है। शौचालय यदि दक्षिण पश्चिम यानि नैऋत्य कोण में बना हो तो अक्सर घर में मानसिक तनाव, रोग और कई परेशानियां रहती हैं। नैऋत्य कोण में सेप्टिक टैंक बनाने पर भी घर में अचानक दुर्घटना होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए यहां गड्ढा करने से बचना चाहिए। घर के नैऋत्य कोण में ऐसा कोई भी दोष होने पर पूजाघर में राहु का वैदिक यंत्र अवश्य लगाना चाहिए। इस प्रकार से आप भी वास्तु के आसान नियमों का पालन करते हुए अपने जीवन के साथ ही स्वास्थ्य को भी उन्नत बनाए रख सकते हैं।