कुंडली में भूमि और भवन योग
जन्म कुंडली का चतुर्थ भाव समस्त प्रकार के सुखों का स्थान है। जन्म कुंडली में चतुर्थ स्थान की शुभता व्यक्ति के जीवन में
सुख-समृद्धि प्राप्ती करवाता है। स्वयं की भूमि अथवा मकान बनाने के लिए चतुर्थ भाव का बली होना आवश्यक होता है, तभी
व्यक्ति घर बना पाता है ! मंगल को भूमि और चतुर्थ भाव का कारक माना जाता है, इसलिए अपना मकान बनाने के लिए
मंगल की स्थिति कुंडली में शुभ तथा बली होनी चाहिए ! मकान अथवा भूमि से संबंधित सभी योगो का आंकलन जन्म
कुंडली, नवांश कुंडली व चतुर्थांश कुंडली में भी देखा जाता है ! यदि तीनों में ही बली योग हैं तब बिना किसी रुकावटों के घर
बन जाता है ! भूमि से संबंधित सभी योग चतुर्थांश कुंडली में भी मिलने आवश्यक हैं ! जो योग जन्म कुंडली में दिखते हैं वही
योग बली अवस्था में नवांश में भी मौजूद होने चाहिए ! जितने बली योग होगें उतना अच्छा घर और योग जितने कमजोर
होते जाएंगे, घर बनाने में उतनी ही अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है !
● मंगल को भूमि और शनि को निर्माण माना गया है, इसलिए जब भी दशा/अन्तर्दशा में मंगल व शनि का संबंध
चतुर्थ/चतुर्थेश से बनता है और कुंडली में मकान बनने के योग मौजूद होते हैं तब व्यक्ति अपना घर बनाता है !
● चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर शुभ ग्रहों का प्रभाव घर का सुख देता है !
● मंगल का संबंध जब कुंडली में चतुर्थ भाव से बनता है तब व्यक्ति जीवन में कभी ना कभी खुद की प्रॉपर्टी अवश्य बनाता है
● मंगल यदि अकेला चतुर्थ भाव में स्थित हो तब अपनी प्रॉपर्टी होते हुए भी व्यक्ति को उससे कलह प्राप्त हो सकती हैं अथवा
प्रॉपर्टी को लेकर कोई ना कोई विवाद बना रहता है !
● चतुर्थ भाव का संबंध एकादश से बनने पर व्यक्ति के एक से अधिक मकान हो सकते हैं ! एकादशेश यदि चतुर्थ में स्थित हो
तो इस भाव की वृद्धि करता है और एक से अधिक मकान होते हैं !
● यदि चतुर्थेश मंगल, एकादश भाव में स्थित हो तब व्यक्ति की आजीविका का संबंध भूमि से बनता है !
कुंडली में यदि चतुर्थ का संबंध अष्टम से बन रहा हो तब संपत्ति मिलने में अड़चने हो सकती हैं !
● जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति का संबंध अष्टम भाव से बन रहा हो तब पैतृक संपत्ति मिलने के योग बनते हैं !
● चतुर्थ, अष्टम व एकादश का संबंध बनने पर व्यक्ति जीवन में अपनी संपत्ति मित्रों के सहयोग से अथवा स्वयं मकान अवश्य
बनाता है!
● चतुर्थांश कुंडली का लग्न/लग्नेश, चतुर्थ भाव/चतुर्थेश व मंगल की स्थिति का आंकलन करना चाहिए ! यदि यह सब बली हैं
तब व्यक्ति मकान बनाने में सफल रहता है !
● चतुर्थ भाव का संबंध छठे भाव से बन रहा हो तब व्यक्ति को जमीन से संबंधित कोर्ट-केस आदि का सामना भी करना पड़
सकता है।
● चतुर्थ का संबंध बारहवें से बन रहा हो तब व्यक्ति घर से दूर जाकर या विदेश में अपना घर बना सकता है !
● जन्म कुंडली में यदि चतुर्थ भाव पर अशुभ शनि का प्रभाव आ रहा हो तब व्यक्ति घर के सुख से वंचित रह सकता है !
उसका अपना घर होते भी उसमें नही रह पाएगा अथवा जीवन में एक स्थान पर टिक कर नही रह पाएगा !
● चतुर्थ भाव/चतुर्थेश पर पाप व अशुभ ग्रहो का प्रभाव घर के सुख में कमी देता है और व्यक्ति अपना घर नही बना पाता है !
■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए!