Grahon Ke Upaay
ग्रह की शांति के सरल उपाय
किसी समय-विशेष में कोई ग्रह अशुभ फल देता है, ऐसे में उसकी शांति आवश्यक होती है। गृह शांति के लिए कुछ उपाय हैं। इनमें से किसी एक को भी करने से अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलों में वृद्धि होती है।
मंत्र जप स्वयं करें या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण से कराएं। दान द्रव्य सूची में दिए पदार्थों को दान करने के अतिरिक्त उसमें लिखे रत्न-उपरत्न के अभाव में जड़ी को विधिवत् स्वयं धारण करें, शांति होगी।
सूर्य ग्रह की शांति- समय सूर्योदय
प्रत्येक रविवार को सूर्य पूजन और सूर्य मंत्र का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करें। आदित्य स्तोत्र या गायत्री मंत्र का प्रतिदिन पाठ करें। सूर्य के मूल मंत्र का जप करें। रविवार के दिन नीचे दिए गए मंत्रों में से जो भी मंत्र आसानी से याद हो सकें उसके द्वारा सूर्य देव का पूजन-अर्चन करें। फिर अपनी मनोकामना मन ही मन बोलें। भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे।
1. ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
सूर्य नमस्कार सदैव खुली हवादार जगह पर कंबल का आसन बिछा कर खाली पेट अभ्यास करना चाहिए। सूर्य नमस्कार करने से मन शांत और प्रसन्न होता है...
सूर्य नमस्कार के12 मंत्र
- ॐ सूर्याय नम: ।
2. ॐ भास्कराय नम:।
3. ऊं रवये नम: ।
4. ऊं मित्राय नम: ।
5. * ॐ भानवे नम:
6. ॐ खगय नम: ।
7. ॐ पुष्णे नम: ।
8. ॐ मारिचाये नम: ।
9. ॐ आदित्याय नम: ।
10. ॐ सावित्रे नम: ।
11. ॐ आर्काय नम: ।
12.ॐ हिरण्यगर्भाय नम: ।
सूर्य के उपाय :
* भगवान विष्णु की उपासना।
* सूर्य को अर्घ्य देना।
* रविवार का व्रत रखना।
* मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकलें।
* पिता और पिता के संबंधियों का सम्मान करें।
चन्द्र ग्रह की शांति- समय संध्याकाल
*पार्वती माता की पूजा करें।
*अन्नपूर्णा स्तोत्र का पाठ करें।
*चंद्र के मूल मंत्र का 40 दिन में 11,000 मंत्र का जाप करें।
मंत्र : 'ॐ श्रां श्रीं श्रो स: चंद्रमसे नम:'।
दान द्रव्य : मोती, सोना, चांदी, चावल, मिश्री, दही, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, कपूर, सफेद बैल, सफेद चंदन।
* सोमवार का व्रत करें।
*सोमवार को देवी पूजन करें।
* दोमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
मंगल ग्रह की शांति- समय- सूर्योदय से 48 मिनट तक ।
*कार्तिकेय या शिवजी की पूजा करें।
*कार्तिकेय या शिवजी के स्तोत्र का पाठ करें।
*मंगल के मंत्र का 10 हजार बार जाप करें ।
मंत्र : 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:' मंत्र का जाप करें।
दान-द्रव्य : मूंगा, सोना, तांबा, मसूर, गुड़, घी, लाल कपड़ा, लाल कनेर का फूल, केशर, कस्तूरी, लाल बैल।
*मंगलवार का व्रत करना चाहिए।
*कार्तिकेय पूजन करना चाहिए।
*रुद्राभिषेक करना चाहिए।
* 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
बुध ग्रह की शांति- समय सूर्योदय से 2 घंटे तक ।
* भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
*विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
* बुध के मूल मंत्र का सवेरे 5 घटी के अंदर पाठ करें।
*9,000 या 16,000 पाठ 40 दिन में करें ।
मंत्र : * 'ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।'
दान-द्रव्य : पन्ना, सोना, कांसी, मूंग, खांड, घी, हरा कपड़ा, सभी फूल, हाथी दांत, कपूर, शस्त्र फल।
* बुधवार का व्रत करना चाहिए।
- विष्णु भगवान का पूजन करना चाहिए।
- 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
गुरु ग्रह की शांति- समय -संध्या समय ।
* भगवान शिव का पूजन करें।
- * श्रीरुद्र का पाठ करें।
- * गुरु के बीज मंत्र का संध्या समय 19,000 जप 40 दिन में करें।
मंत्र : * 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:।'
दान-द्रव्य : * पुखराज, सोना, कांसी, चने की दाल, खांड, घी, पीला कपड़ा, पीला फूल,
हल्दी, पुस्तक, घोड़ा, पीला फल दान करना चाहिए।
* बृहस्पतिवार व्रत करना चाहिए ।
* रुद्राभिषेक करना चाहिए ।
* पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
शुक्र ग्रह की शांति- समय- सूर्योदयकाल ।
* दुर्गा देवी का पूजन करें।
*श्रीसूक्त का पाठ करें।
* देवी की वंदना या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
* शुक्र के मूल मंत्र का जप सूर्योदयकाल में 16,000 जप 40 दिन में करें।
मंत्र : 'द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:'।
दान-द्रव्य : हीरा, सोना, चांदी, चावल, मिश्री, दूध, सफेद वस्त्र, सफेद फूल,
सुगंधित दही, सफेद घोड़ा, सफेद चंदन।
* अरुणोदय काल में शुक्रवार व्रत एवं दुर्गा पूजा करें।
* छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
शनि ग्रह की शांति- समय –सायंकाल ।
श्री हनुमानजी या शिवजी का पूजन-आराधना करें।
हनुमान चालीसा का पाठ या हनुमान स्तोत्र का पाठ करें।
शनि के मूल मंत्र का जप संध्या समय 40 दिन में 23,000 जाप करें।
मंत्र : 'ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:'।
दान-द्रव्य : नीलम, सोना, लोहा,
उड़द, कुलथी, तेल, काला कपड़ा, काला फूल, कस्तूरी, काली गौ, भैंस, खड़ाऊ।
शनिवार का व्रत करना चाहिए।
- नित्य प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ पर काले तिल व कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए।
- यदि पीपल वृक्ष के नीचे शिवलिंग हो तो अति उत्तम होता है।
- सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
- संध्या के समय जातक अपने घर में गूगल की धूप देवें।
- चींटियों को गोरज मुहूर्त में तिल चौली डालना।
- सांप को दूध पिलाना।
- अत्यंत शुभ फल की प्राप्ति के लिए मां भगवती काली की आराधना करें।
- हनुमानजी, शिवजी की पूजा करें।
- 18 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
- काल भैरव की साधना, मंत्र जप आदि करें।
- भिखारियों को काले उड़द का दान।
- जल में काले उड़द प्रवाहित करना !
राहु ग्रह की शांति- समय- रात्रिकाल !
- भैरव पूजन या शिव पूजन करें।
_काल भैरव अष्टक का पाठ करें।
-राहु मूल मंत्र का जप रात्रि में 18,000 बार 40 दिन में करें।
मंत्र : 'ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:'।
दान-द्रव्य : गोमेद, सोना, सीसा, तिल, सरसों का तेल, नीला कपड़ा, काला फूल, तलवार, कंबल, घोड़ा, सूप।
- शनिवार का व्रत करना चाहिए।
_भैरव, शिव या चंडी की पूजा करें।
_8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
केतु ग्रह की शांति- समय- रात्रिकाल !
- भगवान गणेशजी की पूजा करें।
- गणेश के द्वादश नाम स्तोत्र का पाठ करें।
_केतु के मूल मंत्र का रात्रि में 40 दिन में 18,000 बार जप करें।
मंत्र : - 'ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:'।
दान-द्रव्य : लहसुनिया, सोना, लोहा, तिल, सप्त धान्य, तेल, धूमिल,
कपड़ा, फूल, नारियल, कंबल, बकरा, शस्त्
- बृहस्पतिवार व्रत एवं गणेशजी की पूजा करें।
_9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
नवग्रहों की प्रमुख वस्तुएं
सूर्य- सोना मनान्तर से तांबा, गेहूं, गुड़, केसर, खस-खस, घी, गुलाबी रंग के वस्त्र, साठी चावल, लाल चंदन, लाल गुलाब, लाल रंग की गाय या कुत्ता, गुलाबी पगड़ी, तेजफल, लाल कमल का फूल, नारियल, लाल माणिक्य।
चन्द्र- चांदी, कांस्य, दूध, दही, चावल, शंख, सफेद सीपी, सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, निर्मल जल, कपूर, सफेद गाय, सफेद कुत्ता, खरगोश, सफेद बिल्ली, सफेद चंदन, चकोर, हंस, बर्फ, सफेद मोती।
मंगल- तांबा, मतान्तर से सोना, केसर, कस्तूरी, गेहूं, लाल चंदन, लाल गुलाब, सिन्दूर, शहद, लाल पुष्प, शेर, मृगछाला, मसूर की दाल, लाल कनेर, लाल मिर्च, लाल पत्थर, लाल मूंगा।
बुध- स्वर्ण मतान्तर से कांस्य, स्टेशनरी का सामान, हरे वस्त्र, केला, हरी सब्जियां, मूंग की दाल, तोता, मिट्टी का घड़ा, घी, हरे रंग का पत्थर, हरे रंग की वस्तुएं एवं पन्ना।
बृहस्पति- सोना (मतान्तर से चांदी), दाल, चना, हल्दी, केसर, पीला रंग, पीली वस्तुएं, लुकाठ, कांस्य, पीत पुष्प, कस्तूरी, सेब, मेंढक, घोड़ा, घी, पीपल का वृक्ष, पीली मिट्टी, पीला पुखराज।
शुक्र- चांदी, सोना, आभूषण, सफेद चंदन, सुगंधित द्रव्य, श्वेत पुष्प, दूध, मिश्री, श्वेत मिट्टी, कामधेनु गाय, दही, चिड़िया, अभ्रक, आलू, श्वेत पत्थर, हीरा।
शनि- लोहा, लोहे की वस्तुएं, नीले वस्त्र, सरसों का तेल, काले माश, काली मिर्च, काले वस्त्र, काले चने, काला सूरमा, भैंस, काला सांप, चमड़ा, कुलथी, गर्म मसाले, पत्थर का कोयला, नीले पुष्प, नीला पत्थर, नीलम।
राहु- सीसा, सर्प, काला रंग, काले तिल, जौ, सरसों का तेल, काले रंग के पुष्प, हाथी, कच्चे कोयले, अभ्रक, मछली, गर्म कपड़े, बिजली के यंत्र, नीलगाय, धुआं, कुंडली में राहु जिस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता हो उस ग्रह की वस्तुएं, गोमेद।
केतु- लोहा, चूहा, पलंग, चितकबरा कुत्ता, चितकबरे रंग, सर्प, पेशाब, चितकबरा कंबल, छिपकली, काले-सफेद तिल, चितकबरी गाय, श्मशान भूमि, चितकबरा पत्थर, कुंडली में केतु जिस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता हो उस ग्रह की वस्तुएं, लहसुनिया।