दुर्लभ संतान प्राप्ति प्रयोग
संतान गोपाल मंत्र के सवा लाख जप शुभ मुहूर्त में शुरू करें। साथ ही लड्डूगोपाल जी का पूजन करें। उनको माखन- मिश्री का भोग लगाएं, गणपति का स्मरण करके शुद्ध घी का दीपक प्रज्जवलित करके निम्न मंत्र का जप करें। मंत्र:-- ऊं क्लीं देवकी सूत गोविंदो वासुदेव जगतपते देहि मे, तनयं कृष्ण त्वामहम् शरणंगत: क्लीं ऊं।।
● सपत्नीक केले के वृक्ष के नीचे बालमुकुंद भगवान का पूजन करें। कदली वृक्ष का पूजन करें, गुड़, चने का भोग लगाएं। 21 गुरुवार करने से संतान की प्राप्ती होती है।
● 11 प्रदोष का व्रत करें,प्रत्येक प्रदोष को भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से संतान होती है।
● गरीब बालक, बालिकाओं को गोद लें, उन्हें पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, खाने पीने का खर्चा दो वर्ष तक
उठाने से संतान की प्राप्त होती है ।
● आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाने से संतान की प्राप्ति होती है।
कुछ अन्य प्रभावी उपाय:-- ● हरिवंश पुराण का पाठ करें। ● गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें।
● पंचम-सप्तम स्थान पर स्थित क्रूर ग्रह का उपचार करें। ● दूध का सेवन करें।
● किसी अनाथालय में गुप्त दान द। ● शिव का प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन करें।
● किसी बड़े का अनादर करके उसकी बद्दुआ ना लें। ● पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।
गजकेशरी योग- चन्द्र द्वारा निर्मित शुभ योगों में गजकेशरी योग गुरू- चंद्रमा के सम्बन्ध से बनता है ! जब गुरू एवं चंद्रमा जन्म कुण्डली में एक दूसरे से केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में हो अथवा गुरू- चन्द्र की युति इन भावों में होगी तो गजकेशरी योग का निर्माण होता है। इस गजकेशरी योग से प्रभावित व्यक्ति ज्ञानी एवं इनमें दया की भावना होती है ! इस गजकेशरी योग वाले व्यक्ति उच्च पद पर कार्यरत होते हैं एवं अपने गुणों के कारण इनकी ख्याति बनी रहती है !
केमद्रुम योग-- चंद्रमा द्वारा निर्मित अशुभ योगों में केमद्रुम योग प्रमुख योग है ! केमद्रुम योग कुण्डली में तब बनता है जब चन्द्र के दोनों तरफ के भाव में कोई ग्रह नहीं हो ! इस केमद्रुम योग से प्रभावित व्यक्ति का मन अस्थिर रहता है, इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं !
पुनर्फू योग-- कुण्डली में चंद्रमा एवं शनि की युति होने पर एवं चन्द्र एवं शनि के राशि परिवर्तन से भी पुनर्फू योग का निर्माण होता है। पुनर्फू योग अशुभ फलदायी माना जाता है ! पुनर्फू योग से प्रभावित व्यक्ति की शादी विलम्ब से होती है ! वैवाहिक जीवन में परेशानी एवं अचानक इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं !
ज्योतिष-शास्त्र फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए!