शनि के प्रभावशाली उपाय
ज्योतिष के अनुसार हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा आती है। शनि की महादशा 19 वर्षों की रहती है। शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देने के कारण न्यायाधीश और कर्म फल दाता कहे जाते हैं। शनिदेव की वक्री दृष्टि के कारण जातक को कारोबार, नौकरी, दांपत्य जीवन, अचल संपत्ति, स्वास्थ्य आदि कई चीजों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ज्योतिष में शनि को वृद्धावस्था, कमजोर स्वास्थ्य, जीवन में बाधाएं, रोग, मृत्यु, नपुंसकता, विकलांगता, दीर्घायु एवं संघर्ष आदि का कारक ग्रह माना गया है। शनि से प्रभावित व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और उसको समाज में काफी मान- सम्मान भी प्राप्त होता है। यहां शनिदेव को प्रसन्न या अनुकूल बनाने के लिए कुछ बेहद खास और प्रभावशाली उपायों के विषय में बात करेंगे।
● शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को असहाय, अपंग, निर्धन और सफाई कर्मचारियों के साथ ही मजदूर वर्ग को भी शहद का दान करना चाहिए। शनिदेव के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए यह वेहद प्रभावशाली उपाय माना जाता है।
● शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं, इसके साथ ही पीपल के पेड़ पर दूध,तिल और चीनी मिश्रित शुद्ध जल भी चढ़ाएं। ऐसा करने से शनिदेव की कृपा के साथ ही लक्ष्मी जी की भी कृपा की प्राप्ति होती है।
● शमी के वृक्ष की जड़ में नियमित रूप से जल चढ़ाने पर भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
● यदि कुंडली में शनि अशुभ स्थानों पर बैठकर कष्ट दे रहा है या फिर कारक ग्रह होकर भी काफी कमजोर है और शुभ फल नहीं दे पा रहा है तो, जातक को अपने पूजा घर में शनि का हस्त निर्मित एवं अभिमंत्रित वैदिक यंत्र अवश्य स्थापित करके प्रतिदिन शनि के बीज मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस उपाय से निश्चित ही जातक को शनिदेव की अनुकूलता देखने को मिलेगी और कष्टों में कमी आएगी।
● शुक्रवार की रात को काले चने भिगोकर शनिवार कि सुबह यह चने, कच्चा कोयला और लोहे की कील को एक काले कपड़े में बांधकर जल में लगातार कई शनिवार प्रवाहित करने से शनिदेव के दुष्प्रभावों में काफी कमी आती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
● जिन व्यक्तियों की कुंडली में शनिदेव काफी कमजोर या खराब स्थिति में बैठे हैं या फिर जिनकी दशा अंतर्दशा ठीक नहीं चल रही है तो ऐसे जातकों को जुआ खेलना, सट्टा लगाना, शराब आदि नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहना चाहिए क्योंकि, ऐसे कार्यों से शनि देव कुपित होकर अपना दुष्प्रभाव उस जातक के ऊपर डालते हैं।
● जातक को शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या के दुष्प्रभावों से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीपक जलाना चाहिए साथ ही पीपल के पेड़ की 3 या 7 परिक्रमा करनी चाहिए।
● शनिवार को शनि स्तोत्र का पाठ करें, ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:और ॐ शं शनैश्चराय नम: इन दोनों मंत्रों में से किसी एक मंत्र का यथाशक्ति जाप करें और नियमित रूप से कौए को अनाज खिलाएं। इससे शनिदेव की अनुकूल कृपा की प्राप्ति होगी।
● शनिवार को किसी काले कुत्ते को सरसों के तेल लगी हुई रोटी खिलाने और जल में काले उड़द वा कच्चे कोयले को जल में प्रवाहित करने पर भी आपको अपने कार्यो में सफलता मिलेगी साथ ही आपकी आय में भी वृद्धि होगी।
● शनिवार को छाया दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन कासे या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल लेकर इसमें अपना चेहरा देखने के बाद इस तेल को किसी शनि मंदिर में दान कर दें। ऐसा लगातार कुछ शनिवार तक करने से शनि से जुड़ी हुई समस्याएं काफी हद तक दूर होने लग जाती है।
● यदि आप शनिदेव की साढ़ेसाती या ढैया के कष्टों से परेशान है तो आपको, शनिवार के दिन जरूरतमंद व्यक्ति को काले चप्पल या जूते दान करने चाहिए ! इसी प्रकार से शनिवार के दिन काले जूते या चप्पल पहन कर किसी भी हनुमान मंदिर में जाएं और वे जूता, चप्पल वहीं छोड़ कर वापस आ जाएं। ऐसा करने से भी शनि के कष्टों में काफी राहत मिलेगी।
● जीवन में आए कष्टों को दूर करने के लिए शनिवार के दिन 1 किलो सप्त धान, आधा किलो काले तिल, आधा किलो काला चना, कुछ लोहे के कील और एक कांच की शीशी में सरसों का तेल भरकर इन सभी वस्तुओं को एक नीले कपड़े में बांधकर एक पोटली बना लें और शनिदेव से अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करते हुए इस पोटली को किसी भी शनि मंदिर में दान कर दें। कुछ शनिवार लगातार ऐसा करने पर निश्चित ही आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
● शाम को अपने घर में गूगल की धूप और लोबान जलाएं, लोबान शनिदेव को विशेष प्रिय है और इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है।
● प्रत्येक शनिवार व मंगलवार को हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने और हनुमान जी को गुड़ व चने का भोग लगाने से भी शनि देव की कृपा प्राप्ति होती है।
● शनिवार को सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्हड़ में भरकर और उस पर काला कपड़ा बांधकर किसी को दान कर दें या किसी नदी के किनारे भूमि में दवा दें। ऐसा करने से भी शनिदेव के दुष्प्रभाव में कमी आती है।
● शनिवार को भगवान भैरव की उपासना करें और ॐ भैरवाय नमः इस मंत्र का जाप करें। इससे भी आपके कष्टों में काफी कमी देखने को मिलेगी।
● यदि कोई जातक शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती से परेशान है तो उसको अपने घर में हस्तनिर्मित शनि का या शनि साढ़ेसाती का वैदिक यंत्र स्थापित करके शनि के मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शनि की शुभता प्राप्त होगी।
● शनिवार को चमड़े की वस्तुएं, तवा, चिमटे आदि का और सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर शनि मंदिर में दान करना भी शुभ माना जाता है।
● चीटियों को बूरा मिला हुआ आटा डालने पर भी शनिदेव की कृपा के साथ ही व्यक्ति को अपने कार्यो में भी सिद्धि की प्राप्ति होती है।
● शनि के कारण जीवन में परेशानी हो रही हो तो जातक को शनिवार के दिन श्मशान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाना चाहिए।
● जातक को शनि की साढ़ेसाती से राहत पाने के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ के चारों और शनिदेव के मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नम: का जाप करते हुए 7 बार कच्चा सूत लपेट देना चाहिए। इस उपाय से कुंडली में शनि ग्रह को मजबूती मिलती है साथ ही शनिदेव की साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव भी कम होने लग जाता है।
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डॉ योगेश व्यास, मानसरोवर- जयप
ुर।
ज्योतिषाचार्य, टापर,
नेट ( साहित्य एवं ज्योति
ष ),
पीएच.डी(ज्योतिषशास्त्र)
।।
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