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Dr. Yogesh Vyas

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बेसमेंट का वास्तु(Basement Ka Vastu)-

भवन में बेसमेंट का निर्माण वास्तु शास्त्र का ही एक अभिन्न हिस्सा है आज जमीन की कमी होने के साथ ही इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है इसलिए, जैसे बहु मंजिला इमारतों का बनना शुरू हुआ वैसे ही अब भवनों में बेसमेंट बनाने का चलन भी शुरू हो गया है। आवासीय भवन में जब बेसमेंट बनाया जाता है तो इसके निर्माण में विशेष सावधानी रखनी होती है। कई बार लोग जहां इच्छा हो वहां पर या फिर पूरे भवन के नीचे ही बेसमेंट को बना देते हैं। ऐसा निर्माण वास्तु सम्मत शुभ नहीं माना जाता। वास्तु के अनुसार भवन का पूर्वी एवं उत्तरी भाग भवन के पश्चिमी एवं दक्षिणी हिस्से से हल्का एवं थोडा नीचा रहना चाहिए। इसलिए जब बेसमेंट का निर्माण कराना हो तो भवन के पूर्वी एवं उत्तरी हिस्से में ही इसे बनाना चाहिए।

जब आप बेसमेंट बनाते हैं तो उसका उपयोग किसी प्रकार के स्टोरेज या सामान रखने के लिए ही करें। बेसमेंट का उपयोग रहने या पढ़ने के लिए शुभ नहीं माना जाता। यदि रहना जरूरी भी हो रहा हो तो आपको सोने के लिए इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। बेसमेंट का आकार आयताकार या वर्गाकार ही रखना चाहिए साथ ही इसमें पर्याप्त हवा एवं प्राकृतिक रोशनी की भी व्यवस्था होनी चाहिए। बेसमेंट का प्रवेश द्वार भी पूर्व या उत्तर दिशा में ही बनाना चाहिए। बेसमेंट में सकारात्मक ऊर्जा के लिए इसमें सफेद, हल्का पीला या हल्का गुलाबी रंग कराना अच्छा रहता है। गहरे रंग यहां की नकारात्मक ऊर्जा को और भी बढ़ा देते हैं। बेसमेंट की पूर्वी, उत्तरी एवं ईशान यानि कि उत्तर- पूर्व दिशा को हमेशा हल्का एवं साफ रखें और बेसमेंट के ईशान कोण में गुरु का वैदिक यंत्र लगाने पर यह यंत्र यहां की शुभ व सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा देता है। बेसमेंट में भारी सामान दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम यानि नैऋत्य कोण में रखना चाहिए। बेसमेंट बनाते समय ध्यान रखें कि इसका निर्माण कभी भी केवल नैऋत्य कोण में ही नहीं करें, यह अशुभ फल देने वाला होगा । यदि आपने भी नैऋत्य कोण में बेसमेंट बना लिया है तो इसकी सभी दीवारों पर आपको राहु का वैदिक यंत्र अवश्य लगाना चाहिए। बेसमेंट को लंबे समय तक बंद रखना भी अच्छा नहीं रहता। बेसमेंट की गहराई 10- 12 फीट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए और इसी नाप में तीन से चार फीट उसे जमीन के ऊपर भी रखना होता है। जब आप बेसमेंट का द्वार बनाए तो ध्यान रखें कि उसका द्वारा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में नहीं होना चाहिए। इस प्रकार से आप भी वास्तु के नियमों का पालन करते हुए बेसमेंट के नकारात्मक प्रभावों से अपना बचाव करके अपने जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

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