ज्योतिषीय उपाय में सावधान
अक्सर यह सुनने को मिलता है की उपाय काम नहीं करते या बहुत से उपाय किये किन्तु कोई परिणाम या परिवर्तन नहीं हुआ और परेशानी यथावत है ,बल्कि और परेशानी बढ गई | आज आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा कई तरह की वस्तुओं को आपकी राशी इत्यादि से मिला कर बताया जा रहा है जैसे राशी के अनुकूल कपडे, रुमाल, रंग आदि !
अक्सर सही जानकारी के अभाव में सामान्यजन किसी के भी कहने पर ज्योतिषीय उपाय आजमाने लगते हैं। लेकिन आपको पता है कि इस तरह के आजमाए गए उपाय कई बार हानिकारक सिद्ध हो सकते हैं। क्यों काम नहीं करते है ये ज्योतिषीय उपाय---
* कुछ लोग वार के अनुसार वस्त्र पहनते हैं, यह हर किसी के लिए सही नहीं होता है। कुंडली में जो ग्रह अच्छे हैं उनके वस्त्र पहनना शुभ है लेकिन जो ग्रह शुभ नहीं हैं उनके रंग के वस्त्र पहनना गलत हो सकता है।
* कई बार किसी से सलाह लिए बिना कुछ लोग मोती पहन लेते हैं, यह गलत है अगर कुंडली में चन्द्रमा नीच का है तो मोती पहनने से व्यक्ति अवसाद में आ सकता है।
* बारहवें भाव में चन्द्र हो तो साधुओं का संग करना बहुत अशुभ होगा। इससे परिवार की वृद्धि रुक सकती है।
* सप्तम/अष्टम सूर्य हो तो ताम्बे का दान नहीं देना चाहिए इससे धन की हानि होने लगेगी।
* मंत्रोच्चारण के लिए शिक्षा-दीक्षा लेनी चाहिए क्योंकि अशुद्ध उच्चारण से लाभ की बजाय हानि होती है।
* कई लोग घर में मनी प्लांट लगा लेते हैं लेकिन तथ्य यह है कि अगर बुध खराब हो तो घर में मनी प्लांट लगाने से घर की बहन-बेटी दुखी रहती हैं।
* कैक्टस या कांटे वाले पौधे घर में लगाने से शनि प्रबल हो जाता है अतः जिनकी कुंडली में शनि खराब हो उन्हें ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए।
* जब भी मंत्र का जाप करें उसे पूर्ण संख्या में करना जरूरी है ।
* मंत्र एक ही आसन पर, एक ही समय में सम संख्या में करना चाहिए।
* मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद दशांश हवन अवश्य करना चाहिए, तभी पूर्ण फल मिलता है।
* कभी भी उच्च के ग्रहों का दान और नीच ग्रहों की पूजा नहीं करनी चाहिए।
* कुंडली में गुरु दशम भाव में हो या चौथे भाव में हो तो मंदिर निर्माण के लिए धन नहीं देना चाहिए, यह अशुभ होता है और जातक को कभी भी फांसी तक पहुंचा सकता है।
* कुंडली के सप्तम भाव में गुरु हो तो कभी भी पीले वस्त्र दान नहीं करने चाहिए।
* अक्सर देखा गया है कि किसी की शादी नहीं हो रही है तो ज्योतिषी बिना कुंडली देखे पुखराज पहनने की सलाह दे देते हैं इसका उल्टा प्रभाव होता है और शादी ही नहीं होती।
* कुंडली में गुरु नीच, अशुभ प्रभाव में,अशुभ भाव में हो तो पुखराज नहीं पहनना चाहिए।
उपाय कई तरह के होते है—
रत्न धारण करना ,दान करना ,वस्तु प्रवाहित करना ,मंत्र जप -पूजा -अनुष्ठान ,रंगों -वस्त्रों का उपयोग -अनुपयोग,वनस्पतियों को धारण करना ,विशिष्ट पदार्थो का हवन आदि ! मुख्य रूप से रत्न उपायों के रूप में बताए जाते है ,इन रत्नों का प्रभाव असंदिग्ध है ! रत्न वातावरण से सम्बंधित ग्रह के रंग और प्रकाश किरणों को अवशोषित या परावर्तित करते है ,ये त्वचा के संपर्क में रहकर सम्बंधित विशिष्ट उर्जा को शरीर में प्रवेश देते है ,जिससे सम्बंधित ग्रह की रश्मियों का प्रभाव शरीर में बढ़ जाता है और तदनुरूप रासायनिक परिवर्तन शरीर में होने से व्यक्ति के सोचने और कार्य करने की दिशा कए साथ ही क्षमता भी बदल जाती है ,जिससे वह सम्बंधित क्षेत्र में अग्रसर हो सफल हो पाता है !
दूसरा मुख्य उपाय दान –
दान एक पूर्ण भावनात्मक उपाय है ,दान करने या वस्तु प्रवाहित करने में सामान्यतया यह किया जाता है की बताई गयी वस्तु उठाई और जो भी अपनी समझ से जरूरतमंद व्यक्ति दिखा दान दे दिया ! यह तो दान है ही नहीं ,अब परिणाम कैसे मिलेगा ! दान करने से पूर्व मन में भावना होनी चाहिए की में यह वस्तु दान में दे रहा हूँ तो इससे उस जरूरतमंद व्यक्ति जिसे यह दान दिया जा रहा है की जरूरते पूरी होगी और वह आशीर्वाद देगा ! दान लेने वाला व्यक्ति यदि कुकर्मी है ,गलत है मद्य ,मांसाहारी है ,पापी है तो उसके मष्तिष्क से उत्पन्न तरंगे भी नकारात्मक उर्जा वाली होगी और उसका दिया आशीर्वाद आपके भाग्य में सकारात्मक उर्जा का संचार नहीं कर सकता ! आप उसके पाप में भागीदार हो जाते है और आपके दान का उपाय आपका ही नुक्सान कर सकता है !