वास्तु टिप्स और गृह- सज्जा
घर में हर चीज वास्तु शास्त्र के अनुसार हो तो खुशहाली आती है और वास्तु के अनुसार न हो तो घर में दुख तथा अनिद्रा, पेट
दर्द, ब्लडप्रेशर जैसी गंभीर बिमारियों का वास होता है। घर के किचन और टॉयलेट को पेट संबंधी बीमारियों का मुख्य कारण
माना जाता है! यदि वास्तुशास्त्र के अनुसार घर बनवाया जाए तो यह दुख, दरिद्रता बीमारियां आदि से हमें दूर रखता है।
बेडरूम यदि वास्तुशास्त्र के अनुसार हो तो घर में शांति और खुशहाली रहती है। ये सभी उपाय सामान्य से उपाय हैं अतः,
ज्योतिष संबंधी किसी भी समाधान के लिए जयपुर कार्यालय पर सम्पर्क कर सकते हैं।
● वास्तु में जो मिट्टी श्वेत, उपजाऊ तथा भीनी-भीनी महक वाली होती है, आवास तथा व्यावसायिक कार्यों के लिए शुभ होती
है। भवन निर्माण से पहले भूखंड पर पांच ब्राह्मणों को भोजन करना बहुत ज़्यादा शुभ माना जाता है ।
● भूखंड के बीच एक हाथ का बड़ा गड्ढा खोदकर उसमें से निकली मिट्टी को दोबारा भरिए यदि मिट्टी कम पड़ जाए तो उस
भूमि पर भवन नहीं बनाना चाहिए।
● घर के पास कांटेदार वृक्ष जैसे बबूल आदि होने से शत्रुभय, दूध वाले वृक्ष जैसे आक, कटैली आदि से धननाश और फलदार
वृक्ष संतान के लिए हानिकारक होते हैं। घर के सामने छोटे फूलदार पौधे लगाना शुभ होता है।
● तुलसी का पौधा हमेशा घर के पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर ही लगाना चाहिए, दक्षिण दिशा में तुलसी भय देती है।
● फेंगशुई के अनुसार हंसों का जोड़ा शयनकक्ष में रखने से पति और पत्नी के बीच प्यार और विश्चास में वृद्धि होती है।
● अगर पति-पत्नी में लगातार झगड़ा होता है तो उन्हें अपने डबल-बेड पर इकहरा गद्दा बिछाना चाहिए।
● वास्तुशास्त्र के अनुसार बेडरूम में पलंग के ठीक सामने आईना होना अशुभ होता है। इससे गृहस्वामी को अनिद्रा, बेचैनी जैसी
परेशानियां हो सकती हैं। सोते समय पैर दरवाजे की तरफ नहीं होने चाहिए।
● यदि पढ़ाई करते वक्त बहुत ज़्यादा नींद आती हो, पढ़ाई में मन न लगे, रुकावटें आए तो इसके लिए छात्र को पूर्व की तरफ
सिरहाना करके सोना चाहिए।
● घर में पूजा स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में हो और बेडरूम में मंदिर नहीं होना चाहिए।
● मकान की छत पर बेकार या टूटे-फूटे समान को न रखें। घर की छत को हमेशा साफ रखें।
● बच्चों का कमरा उत्तर–पूर्व दिशा में होना चाहिए। स्टडी रूम में देवी सरस्वती की तस्वीर या मूर्ति लगाई जा सकती है। बच्चों
के कमरे की दीवारों का रंग हल्का होना चाहिए। अग्नि तत्व वाले कोण (दक्षिण-पूर्व) में रसोई बनाना सर्वोत्तम होता है।
● झूठे बर्तन वॉश बेसिन में रात को नहीं छोड़े। सुबह और शाम के समय अगर संभव हो तो भोजन बनाने से पहले किचन में
धूप-दीप अवश्य दिखाएं लेकिन किचन में पूजा स्थान बनाना शुभ नहीं होता।
● यदि स्नानघर व शौचालय एक साथ हैं, तो स्नानघर में हमेशा एक कांच की कटोरी में साबुत नमक भरकर रखें और हर सप्ताह
इसे बदलते रहें। वास्तु शास्त्र के अनुसार नमक नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेता है।
● वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर, मस्जिद या अन्य पूजा स्थलों से लगे घरों में शांति और सुख नहीं रहता। मंदिर के ऊपर लगे
ध्वजा की छाया भी एक वास्तु दोष को जन्म देती है। शौचालय बनाने के लिए स्थान दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण दिशा है।
● घर के अंदर मंदिर में कोई भी टूटी-फूटी मूर्ति या तस्वीर ना हो। मूर्तियों का आकार भी कम होना चाहिए। घरों में मंदिर को
पूर्व दिशा में होना चाहिए और सोते समय पांव मंदिर की तरफ नहीं होने चाहिए।