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Dr. Yogesh Vyas

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मोदी की शपथ और ज्योतिष-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 9 जून को प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ले ली। पहले यह शपथ समारोह 8 जून को माना जा रहा था लेकिन उस दिन गंड योग बनने के कारण इस शपथ ग्रहण समारोह को श्रेष्ठ मुहूर्त के हिसाब से फिर 9 जून को तय करना माना जा सकता है। तीसरे टर्म के लिए इनका कार्यकाल कैसा रहेगा या फिर यह कहें कि सरकार कैसे चलेगी? यह सभी के लिए जानने का विषय बना हुआ है क्योंकि इस बार बीजेपी को 240 सीटें मिली हैं और ये बहुमत के आंकड़े से काफी कम हैं। इस कारण से तीसरे टर्म में इनको सहयोगी दालों के माध्यम से ही आगे बढ़ना होगा। इस बार एनडीए के प्रमुख सहयोगी दलों में टीडीपी को 16, जदयू को 12, एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 7 और चिराग पासवान की पार्टी को 5 सीटें मिली हैं। इन दलों की सरकार के गठन और उसको चलाने में इस बार महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

9 जून रविवार के दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में शाम को 7:23 पर वृद्धि नामक शुभ योग और पुनर्वसु नक्षत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने शपथ ली है। इस पुनर्वसु नक्षत्र में ली जाने वाली शपथ शुभ फल देने वाली होगी। पुनर्वसु नक्षत्र में शपथ ग्रहण होने से सरकार इस देश की जनता की सेवा और उन्नति में तत्पर दिखाई देगी।

प्रधानमंत्री ने अपनी शपथ वृश्चिक लग्न में ली है। मंगल ग्रह की यह वृश्चिक लग्न एक तो स्थिर लग्न मानी जाती है वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी की स्वयं की लग्न और चंद्र राशि भी वृश्चिक ही है। मोदी की लग्न में भी मंगल बैठा हुआ है। वृश्चिक राशि का प्रतीक चिन्ह बिच्छू होने के कारण यह राशि स्वभाव से पलट कर जवाब देने की प्रकृति से संपन्न मानी जाती है।

अंक ज्योतिष के हिसाब से भी देखें तो 9 नंबर का संबंध मंगल से है और नरेंद्र मोदी की कुंडली में उनकी लग्न मंगल वाली वृश्चिक राशि की है और वह लग्न मंगल से भी युक्त है इसके साथ ही इस वर्ष हिंदू नव वर्ष का राजा भी मंगल ग्रह को ही माना गया है। इसलिए मंगल का यह संयोग मोदी के लिए अपने कार्यों में ऊर्जा और गति देने वाला साबित होगा। इन सब के साथ ही वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी को उनके लग्नेश ग्रह मंगल की महादशा भी चल रही है। अंकों के हिसाब से और भी आगे बात करें तो 9 जून को रविवार यानि सूर्य का दिन था और सूर्य ग्रह शासन और सत्ता को चलाने वाला ग्रह माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है और सत्ता में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका भी देखने को मिलती है। इसी प्रकार से 9 अंक मंगल का प्रतिनिधित्व करता है और मंगल ग्रह ऊर्जा को देने वाला माना जाता है। इस प्रकार से सूर्य और मंगल के संयोग के द्वारा दिल्ली में सरकार का किया जाने वाला गठन देश और दुनिया में अपने नाम को आगे बढ़ाएगा। ज्योतिष के अनुसार प्रधानमंत्री की स्थिति को लग्न से देखेंगे तो वहीं पर सप्तम भाव से विपक्षी दलों की ताकत को देखना होगा। इसी प्रकार से एनडीए के छोटे सहयोगी दलों को शपथ ग्रहण वाली कुंडली के तृतीय भाव से और बड़े सहयोगी दलों के सहयोग और उनकी शक्ति को एकादश भाव से देखा जाएगा। अभी शपथ ग्रहण के कुछ कमजोर बिंदुओं की बात करें तो- जैसा माना जाता है कि राज्याभिषेक में गुरु व शुक्र ग्रह की मजबूत स्थिति काफी प्रभावशाली रहती है। गुरु ग्रह तो इस समय उदय हो गया है लेकिन शुक्र अभी भी अस्त ही चल रहे हैं। शुक्र ग्रह धन के कारक होने से बड़ी योजनाओं पर अपना प्रभाव डाल सकते हैं। इसी तरह लग्नेश मंगल का लग्न से छठे भाव में बैठना भी कुछ कमजोर स्थिति बना सकता है। शपथ वाली कुंडली के साथ ही नरेंद्र मोदी की कुंडली में भी इस समय शनि की ढैय्या चल रही है। इसके कारण भी विपक्ष पहले से अधिक आक्रामक होकर कार्यों में बाधा या विलंब कर सकता है। इस ढैय्या के साथ ही शनि की छठे भाव में स्थित मंगल पर पूर्ण दृष्टि होने से और भी कई चुनौतियों के कारण भी पार्टी को संतुष्टि में कमी एवं विपक्ष के विरोध से कार्यों में देरी देखने को मिल सकती है।
शपथ ग्रहण के समय चंद्रमा दोनों तरफ से ग्रहों से रहित है, इसके साथ ही चतुर्थी तिथि यानि कि रिक्ता संज्ञक तिथि में शपथ ग्रहण को संपन्न किया गया है। मुहूर्त के अनुसार रिक्ता संज्ञक तिथि में कार्यों की योजनाओं के क्रियान्वयन में अक्सर बाधा या विलंब देखने को मिलता है। भाग्य स्थान में बैठे चंद्रमा पर राहु की पूर्ण दृष्टि होने के साथ ही लग्न पर भी शनि की पूर्ण दृष्टि है। इस कारण से सरकार के मंत्रियों में थोड़ी जल्दबाजी या निर्णय में कुछ भ्रम की स्थिति देखने को मिल सकती है। शपथ ग्रहण के समय सप्तम भाव यानि वृषभ राशि में चार बड़े ग्रह सूर्य, बुध, गुरु और शुक्र स्थित हैं। सप्तम भाव से विपक्ष को देखने पर मालूम चलता है कि इस बार विपक्षी गठबंधन मजबूती के साथ कार्यों की स्पीड को कम करने का प्रयास करेगा। शुक्र ग्रह अस्त होने से बैंकिंग और धनागम के स्रोतों में सरकार के लिए परिश्रम बढ़ाने की ओर इशारा करता है। प्रधानमंत्री मोदी की कुंडली में आने वाले समय में षष्ठेश मंगल की महादशा में अष्टमेश बुध ग्रह की अंतर्दशा भी काफी राजनीतिक षड्यंत्र और विवादों को पैदा कर सकती है, इसके साथ ही मंगल में आने वाली केतु की अंतर्दशा उनको विवादों के साथ ही स्वास्थ्य के उतार चढ़ाव को लेकर भी सरकार को अपनी स्थिरता में कुछ परेशानी देखने को मिल सकती है।
अब इस सरकार के कुछ सकारात्मक पहलुओं की भी बात करें तो- लग्नेश मंगल का अपनी पूर्ण दृष्टि से भाग्य स्थान में स्थित चंद्रमा को देखने से न्याय के क्षेत्र में भारत उपलब्धि हासिल करेगा। सत्ता और कूटनीति के साथ ही दशम भाव के कारक ग्रह शनि देव चतुर्थ भाव में अपनी मूल त्रिकोण राशि में स्थित होकर सत्ता के घर यानि दशम भाव को देख रहे हैं और शनि देव की यह दृष्टि सत्ता को काफी सहयोग प्रदान करेगी। शपथ ग्रहण की कुंडली में लग्न पर मंगल और शनि की पूर्ण दृष्टि है इसके साथ ही नवांश कुंडली में भी इन दोनों ग्रहों का अच्छा प्रभाव होने से उद्योग जगत, कानून, पुलिस व्यवस्था, नौकरियां और न्यायपालिका में भी अच्छे निर्णय एवं बदलाव देखने को मिलेंगे।
धनेश और पंचमेश गुरु सप्तम भाव में बैठकर लाभ स्थान के साथ ही लग्न को भी पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं। इस कारण से गुरु सरकार को धनागम, अर्थव्यवस्था में गति ,राष्ट्रीय कोष में वृद्धि और बैंकिंग के साथ ही प्रबंधन में भी सहायक सिद्ध होंगे। मंगल ग्रह देश को चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ाएंगे और यह लग्न को भी पूर्ण दृष्टि से देखने के कारण देश की सुरक्षा व्यवस्था और सेना को भी मजबूती प्रदान करेंगे। शनि ग्रह की मजबूत स्थिति के कारण परिवहन के क्षेत्र में अच्छे परिणाम सामने आएंगे। शपथ ग्रहण के समय चंद्रमा और शनि दोनों ग्रहों का स्वगृही होने से किसानों के लिए शुरुआत में ही किसान निधि के माध्यम से अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इन ग्रहों से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ ही किसानों के लिए आगे भी अच्छी योजनाएं देखने को मिलेंगी। इन सभी ग्रह नक्षत्रों की सकारात्मक स्थितियां सरकार को अपनी नीतियों के क्रियान्वयन में सहयोग करेंगी और सरकार के कार्यकाल को पूर्णता की ओर ले जाने में काफी सहायक सिद्ध होंगी।

■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से संपूर्ण कुंडली के परामर्श करने के बाद ही किसी सार्थक निर्णय पर पहुंचना उचित माना जाता है।

Website- www.astrologeryogesh.com
डॉ योगेश व्यास, ज्योतिषाचार्य (टॉपर),
नेट (साहित्य एवं ज्योतिष), पीएच.डी (ज्योतिषशास्त्र)
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