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उपयोगी वास्तु टिप्स (Useful Vastu Tips)-
वास्तु के अनुसार बने भवनों एवं कार्यालयों में रहने से व्यक्ति की रासायनिक क्रिया संतुलित रहती है और लंबे समय तक वास्तु दोष युक्त स्थलों में निवास करने से शरीर की आंतरिक संरचना में बदलाव आने लगता है इसलिए, जीवन को सुखी, समृद्ध और दीर्घायु बनाने के लिए वास्तु के कुछ सामान्य नियमों का उपयोग करना बेहद लाभदायक होता है। घर में भोजन कक्ष पश्चिम दिशा में हो और उसमें सुंदर चित्रों को लगाना चाहिए। भोजन करने की मेज चौकोर या आयताकार ही रखें, गोल मेज पर भोजन करने से विवाद होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। भोजन करते वक्त मुंह दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए साथ ही भोजन कक्ष और रसोईघर एक ही मंजिल पर बनाने का प्रयास करना चाहिए।
महत्वपूर्ण विषयों पर विचार विनिमय, सलाह एवं चर्चा हेतु निस्तारण कक्ष ब्रह्म स्थान, पूर्व अथवा ईशान कोण में बनाना श्रेष्ठ होता है। इसे कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं बनाना चाहिए क्योंकि, दक्षिण दिशा के कमरे में ऐसी चर्चा के समय नीरसता, थकान व तकरार की संभावनाएं बनी रहती हैं। पार्किंग में गाड़ी को लगाते समय ध्यान रखें कि उसका मुंह दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए। यदि किसी भूखंड का ईशान कोण कटा हुआ है तो वहां पर भवन बनाकर रहने वाले लोगों में प्रसन्नता कम ही देखने को मिलती है। इसी प्रकार से ईशान कोण में जिस घर में शौचालय होता है वहां धन की कमी और रोगों का निवास बना रहता है। मुख्य द्वार के सामने बड़ी दीवार, कोई बड़ी बिल्डिंग, पेड़, सीढ़ियां, ट्रांसफार्मर, बिजली या टेलीफोन का खंबा, कचरा इत्यादि होने पर वास्तु वेध होता है, यह वेध घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकते हैं साथ ही धन की प्रगति में भी बाधक बनते हैं। इस प्रकार के दोषों के निराकरण हेतु मुख्य द्वार के ऊपर रत्न जड़ित संपूर्ण हस्त निर्मित वास्तु मिरर अवश्य लगाना चाहिए । यह बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को परावर्तित कर देता है। यदि किसी भवन या कार्यालय में ईशान कोण यानि उत्तर- पूर्व दिशा में बिजली का मुख्य बोर्ड, मीटर, मेन स्विच, ट्रांसफार्मर , जनरेटर इत्यादि लगे हुए हों तो उनको वहां से हटाकर अग्नि कोण में लगवाना चाहिए। भवन के नैऋत्य कोण यानि दक्षिण- पश्चिम दिशा में बना हुआ कुआं,भूमिगत जल टैंक या सेप्टिक टैंक बेहद हानिकारक है इसके कारण घर में रोग अपयश, धन का नाश, खराब प्रवृत्ति, जीवन में संघर्ष और अकस्मात दुर्घटनाओं के होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा होने पर पूजाघर में नैऋत्य दोष निवारण यंत्र अवश्य लगाना चाहिए। घर की वायव्य दिशा यानि उत्तर -पश्चिम भाग में अनाज एवं जीवन उपयोगी अन्य वस्तुओं का भंडारण करना उचित रहता है ऐसा करने से जीवन में इन वस्तुओं की कमी नहीं रहती। रसोई घर में दक्षिण की ओर मुख करके भोजन बनाने पर ऐसा भोजन उत्कृष्ट स्वाद वाला नहीं होता और खाने वाले व्यक्ति भी उसमें कोई ना कोई कमी निकालते रहते हैं। ऐसे घरों में ग्रहणी का स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। जिस घर, इमारत, प्लॉट, कार्यालय आदि के ब्रह्म स्थान यानि मध्य भाग में कुआं, गहरा गड्ढा या स्विमिंग पूल इत्यादि रहते हैं तो वे उस जगह पर रहने वाले लोगों की प्रगति में बाधक बनते हैं साथ ही उन लोगों को अनेक प्रकार के दुख एवं कष्टों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसा होने पर इनको वहां से हटाए साथ ही घर में रत्न जड़ित संपूर्ण वास्तु यंत्र की स्थापना करनी चाहिए। इस प्रकार आप भी वास्तु के सामान्य लेकिन बेहद उपयोगी इन नियमों को अपनाकर अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बना सकते हैं।