महिलाओं की राशि और प्रेम
प्यार के मामले में महिलाओं का नजरिया पुरूषों से अलग होता है। वे इस बारे में अलग सोच रखती हैं, अगर आप किसी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं तो पहले ये भी जान लें कि उसकी प्यार के बारे में क्या सोच है, वो आपके अनुरूप है या नहीं ।
महिलाओं की राशि और प्रेम--
● मेष राशि- मेष राशि वाली महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें ऐसा प्रेमी मिले जो उसे विश्वास दिलाए की वो उसकी ज़िंदगी में
सबसे पहले और महत्वपूर्ण है।
● वृष राशि- वृष राशि की महिलाएं जब भी प्रेम करती हैं उसे सच्ची निष्ठा से निभाती हैं ! जब इन्हें गुस्सा आता है तो इन्हें
संभालना बड़ा मुश्किल होता है।
● मिथुन राशि- मिथुन राशि की महिलाएं बहुत रोमांटिक और बहुत ही चंचल होती हैं ! ज्यादातर लोग मिथुन राशि की
महिलाओं की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाते हैं।
● कर्क राशि- कर्क राशि की महिलाएं प्यार करने के मामले में धीमी होती हैं लेकिन वह एक समर्पित और सुरक्षात्मक प्रेमी हैं।
कर्क राशि की महिलाओं को दूसरों पर विश्वास करने में समय लगता है।
● सिंह राशि- सिंह राशि की महिलाओं को प्यार आसानी से हो जाता है लेकिन ऐसा तभी होता है जब सही प्रेमी उनकी
कल्पना को प्रभावित करता है।
● कन्या राशि- कन्या राशि की महिलाएं अत्यंत भावुक और तीव्र होती हैं ! ये अपने प्रेमी में किसी प्रकार की कमजोरी पसंद
नहीं करती हैं। ऐसे में कई बार रिश्ते निभाना मुश्किल हो जाता है।
● तुला राशि- तुला राशि की महिलाएं तालमेल और भागीदारी चाहती हैं। प्यार में तुला राशि की महिलाएं संतुलन देखती
है। ये अपने प्रेमी से चाहती हैं की जिसे उन्होंने चुना है वह पूरी तरह से
उनके लिए समर्पित है ।
● वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि की महिलाएं अपने प्रेमी के लिए एक पहेली हो सकती है। उनकी वास्तविक भावनाएं और
इरादे कभी-कभी संदिग्ध हो जाते हैं।
● धनु राशि- धनु राशि की महिलाओं को एक ऐसा साथी चाहिए जो मानसिक और शारीरिक रूप से उसकी टक्कर का हो,
कोई ऐसा जो उन्हें पूरी तरह समझ सके और उसे प्यार कर सके।
● मकर राशि- मकर राशि की महिलाएं न तो पहली नजर में प्यार में पड़ जाती हैं और न ही इसमें समय बर्बाद करती हैं। वे
प्यार में विश्वास करती हैं, लेकिन साथी को पूरी तरह समझ के ही करती हैं। ।
● कुंभ राशि- कुंभ राशि की महिलाएं बड़े ही मज़बूत विश्वास का परिचय देती हैं। इन्हें किसी से प्यार करने और उसे समझने
में काफी समय लगता है। इस कारण ये जल्दी रिश्ते नहीं बना पाती हैं।
● मीन राशि- मीन राशि वाली महिलाएं प्यार में डूबी रहना पसंद करती हैं एक बार प्यार होने के बाद वे प्यार के हसीन
सपनों में ही खोई रहती हैं।"
■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर
ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए!
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मिलान, वास्तु, मांगलिक एवम् पितृदोषादि शमन हेतु जयपुर कार्यालय पर या वेबसाइट के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं !
● 11 प्रदोष का व्रत करें,प्रत्येक प्रदोष को भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से संतान होती है।
● गरीब बालक, बालिकाओं को गोद लें, उन्हें पढ़ाएं, लिखाएं, वस्त्र, कापी, पुस्तक, खाने पीने का खर्चा दो वर्ष तक
उठाने से संतान की प्राप्त होती है ।
● आम, बील, आंवले, नीम, पीपल के पांच पौधे लगाने से संतान की प्राप्ति होती है।
कुछ अन्य प्रभावी उपाय:-- ● हरिवंश पुराण का पाठ करें। ● गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें।
● पंचम-सप्तम स्थान पर स्थित क्रूर ग्रह का उपचार करें। ● दूध का सेवन करें।
● किसी अनाथालय में गुप्त दान द। ● शिव का प्रतिदिन विधि-विधान से पूजन करें।
● किसी बड़े का अनादर करके उसकी बद्दुआ ना लें। ● पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।
गजकेशरी योग- चन्द्र द्वारा निर्मित शुभ योगों में गजकेशरी योग गुरू- चंद्रमा के सम्बन्ध से बनता है ! जब गुरू एवं चंद्रमा जन्म कुण्डली में एक दूसरे से केन्द्र स्थान (1,4,7,10) में हो अथवा गुरू- चन्द्र की युति इन भावों में होगी तो गजकेशरी योग का निर्माण होता है। इस गजकेशरी योग से प्रभावित व्यक्ति ज्ञानी एवं इनमें दया की भावना होती है ! इस गजकेशरी योग वाले व्यक्ति उच्च पद पर कार्यरत होते हैं एवं अपने गुणों के कारण इनकी ख्याति बनी रहती है !
केमद्रुम योग-- चंद्रमा द्वारा निर्मित अशुभ योगों में केमद्रुम योग प्रमुख योग है ! केमद्रुम योग कुण्डली में तब बनता है जब चन्द्र के दोनों तरफ के भाव में कोई ग्रह नहीं हो ! इस केमद्रुम योग से प्रभावित व्यक्ति का मन अस्थिर रहता है, इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं !
पुनर्फू योग-- कुण्डली में चंद्रमा एवं शनि की युति होने पर एवं चन्द्र एवं शनि के राशि परिवर्तन से भी पुनर्फू योग का निर्माण होता है। पुनर्फू योग अशुभ फलदायी माना जाता है ! पुनर्फू योग से प्रभावित व्यक्ति की शादी विलम्ब से होती है ! वैवाहिक जीवन में परेशानी एवं अचानक इनके जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी आते रहते हैं !
ज्योतिष-शास्त्र फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए!