किचन का वास्तु-
नमस्कार मित्रों, मैं डॉक्टर योगेश व्यास ! आज हम वास्तु के एक महत्वपूर्ण विषय किचन के वास्तु पर बात करेंगे।
● मित्रों वास्तु शास्त्र के अकॉर्डिंग किचन की बेस्ट पोजीशन अथवा सर्वोत्तम स्थान अग्नि कोण यानी कि दक्षिण पूर्व दिशा को ही माना जाता है। इस कोने का तत्व अग्नि और इस दिशा का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। जैसे ही अग्नि कोण में किचन बनता है तो, पांच तत्वों में से महत्वपूर्ण अग्नि तत्व संतुलन में आने लग जाता है।
● कुछ लोग किचन को वास्तु के अकॉर्डिंग ना बनाकर, जगह का उपयोग करने के उद्देश्य से अपनी सुविधानुसार कहीं भी बना लेते हैं। जबकि, वास्तु में हर दिशा की अपनी एनर्जी होती है। किचन के अंदर अगर वास्तु शास्त्र के विपरीत निर्माण किया जाता है तो, उसके नेगेटिव इफेक्ट भी देखने को मिलते हैं। वास्तु के अकॉर्डिंग यदि किचन का वास्तु सही ना हो तो उसका विपरीत प्रभाव महिलाओं के साथ ही घर के सभी सदस्यों पर होता है। महिलाओं पर इसका दुष्प्रभाव इसलिए ज्यादा होता है क्योंकि, उनका अधिकतम समय किचन में ही बीतता है। घर में मानसिक तनाव का प्रमुख कारण किचन में वास्तु दोषों का होना भी होता है।
● घर के ठीक सामने कोई पेड़,नल या पानी की टंकी नहीं होनी चाहिए। ऐसी चीजों से घर में परेशानियां हो सकती हैं।
● तो आइए मित्रों, आज किचन के प्रमुख वास्तु दोषों और उनके आसान उपायों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
● मित्रों कभी भी किचन से लगा हुआ कोई जलस्रोत नहीं हो। किचन से लगा हुआ बोर, कुआं, बाथरूम आदि ना बनवाएं। सिर्फ वाशिंग स्पेस दे सकते हैं।
● किचन में सनलाइट प्रॉपर हो इसका ध्यान रखें और किचन की पूर्वी दीवाल पर ही विंडो होनी चाहिए।
● यदि घर के अग्नि कोण में किसी कारण से किचन बनाना पॉसिबल ना हो तो, घर के उत्तर-पश्चिम यानि की वायव्य कोण में भी किचन बनाई जा सकती है। यहां किचन हो तो घर के लिए कोई नुकसान नहीं करेगी और ना ही बहुत ज्यादा लाभदायक होगी।
● किचन के ईशान कोण में सिंक व अग्नि कोण में चूला लगाना चाहिए। रसोई में गैस चूल्हा और सिंक एक ही दिशा में नहीं हों, यदि ऐसा हो तो इन दोनों के बीच में लकड़ी का पार्टीशन लगा देना चाहिए।
● किचन में इलेक्ट्रॉनिक आइटम जैसे कि- मिक्सी, माइक्रोवेव, ओवन, मिक्सर-ग्राइंडर और फ्रिज इत्यादि को भी दक्षिण दिशा में ही रखना चाहिए। फ्रिज को ईस्ट में भी रखा जा सकता है।
● किचन का कलर सेलेक्ट करते समय ध्यान रखें कि, महिलाओं की जन्म कुंडली को दिखाकर और उस कुंडली के आधार पर भी किचन में कलर का सलेक्शन किया जा सकता है, जैसे किसी महिला की कुंडली में भाग्येश या पंचमेश या फिर लग्नेश सूर्य अथवा मंगल ग्रह है और ये ग्रह कुंडली में भी शुभ स्थान में मजबूत होकर बैठे हैं तो उन ग्रहों के अकॉर्डिंग किचन में पिंक या ऑरेंज कलर कराना भी शुभ रहेगा।
● किचन के दक्षिण या पश्चिम हिस्से में ही स्टोर रूम बनाना चाहिए। स्टोर रूम में अलमारी दक्षिण और पश्चिम दीवाल पर ही बनाएं। भारी बर्तन भी दक्षिण दिशा में ही रखने चाहिए।
● किचन में चूल्हे को किचन के पूर्व में बने प्लेटफार्म के अग्नि कोण में और गैस सिलेंडर को भी प्लेटफॉर्म के नीचे अग्नि कोण में ही रखना चाहिए। यदि आपने सिलेंडर को किचन के बाहर रखने के लिए कोई जगह बनाई है तो, उसे भी किचन के बाहर अग्नि कोण में ही रखना चाहिए।
● यदि किसी घर में सिलेंडर के ऊपर पानी का घड़ा रखा हुआ है तो उसे वहां से हटा दें क्योंकि, ऐसी स्थिति में आपको उस घर में पति-पत्नी के बीच में अक्सर लड़ाई झगड़े देखने को मिलेंगे। आपको पानी का घड़ा उत्तर या पूर्व के प्लेटफार्म पर ही रखना चाहिए।
● जहां घर के साउथ वेस्ट यानी की नैऋत्य कोण में किचन बना हुआ है और घर के मुखिया की कुंडली में राहु भी खराब स्थिति में है जैसे कि- राहु अष्टम या द्वादश भाव में नीच का हो और उस पर मंगल या शनि की दृष्टि भी हो या इन ग्रहों से युति आदि हो अथवा राहु गोचर में या फिर अंतर्दशा में अशुभ चल रहा है तो, उस घर के मुखिया के स्वास्थ्य में समस्या बनी ही रहेगी और उस घर में मुखिया के साथ ही घर के अन्य लोगों में भी मानसिक अस्थिरता, अवसाद, उग्रता, अपच अनचाहे खर्चे भी देखने को मिल सकते हैं इसलिए, समय-समय पर अपनी कुंडली भी चेक कराते रहना सही रहता है।
● नैऋत्य दिशा का स्वामी राहु है और घर में नैऋत्य कोण के दूषित होने पर कई बार तो एक से अधिक लोगों को शारीरिक व मानसिक परेशानियां देखने को मिलती हैं। यदि आपके घर में भी दक्षिण- पश्चिम दिशा में किचन का निर्माण हो गया है तो, आप इसके सटीक समाधान के लिए हस्त निर्मित राहु के वैदिक यंत्र को अवश्य ही अपने पूजा घर में लगाएं। यह राहु यंत्र आपके nrritya कोण के दोषों को दूर करने में काफी हेल्प फुल साबित होगा।
● किचन में चूल्हा इस प्रकार से रखा होना चाहिए कि जब, उस पर खाना बनाते हों तो, ईस्ट या नॉर्थ साइड में फेस हो। जहां दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन बनाया जाता है तो, ऐसे घरों में अक्सर बीमारियां देखने को मिलती है। मोस्टली वहां रहने वाली महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
● बात करें किचन स्लैब के रंग की तो रसोई में स्लैब का कलर एनर्जी को नियंत्रित करता है इसलिए, यहां पॉजिटिव एनर्जी के प्रवाह के लिए रसोई घर का स्लैब ब्लैक कलर का ना होकर ग्रीन या ब्राउन कलर का ही होना चाहिए।
● रसोई घर में बाहर से चप्पल या जूते लाना यहां नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
● यदि आप झूठे बर्तन किचन में ऐसे ही छोड़ देते हैं तो, यह भी दरिद्रता को बढ़ावा देता है।
● यदि आप किचन में कोई खिड़की बनाते हैं तो उसे ईस्ट डायरेक्शन में ही बनाना शुभ रहेगा।
● रसोई में कभी भी धार्मिक फोटो, तस्वीर या मंदिर को नहीं रखना चाहिए।
● ध्यान रखें कि किचन और टॉयलेट एक दूसरे के सामने ना हों, किचन को टॉयलेट से अलग बनाना चाहिए और टॉयलेट व किचन की दीवार भी अलग-अलग ही होनी चाहिए। यदि किचन व टॉयलेट का दरवाजा आमने- सामने आ गया है तो, टॉयलेट का दरवाजा अलग दिशा में कर देना चाहिए।
● घर के नॉर्थ ईस्ट यानी ईशान कोण में किचन का निर्माण नहीं करना चाहिए, यह घर की महिलाओं के लिए बहुत हानिकारक होता है। ऐसे घर में महिलाएं हमेशा बीमारियों से ग्रसित रहती हैं। ईशान कोण में किचन होने से धर में धन की समस्या, मानसिक अशांति अत्यधिक खर्चे व स्वास्थ्य कमजोर रहने लगता है।
● ईशान दिशा का स्वामी गुरु ग्रह है और यह दिशा संतान की उन्नति से भी जुड़ी रहती है। ईशान कोण के दूषित होने पर संतान पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आपके घर में भी ईशान कोण में किचन का निर्माण हो गया है और आपकी कुंडली में गुरु भी कमजोर अवस्था में हो जैसे कि गुरु पंचमेश होकर मकर राशि में छठे भाव में हो साथ ही नवांश कुंडली में भी गुरु कमजोर स्थिति में हो तो, आपको संतान विषयक परेशानी शुरू हो जाएगी। तव आप इसके समाधान के लिए हस्त निर्मित गुरु का वैदिक यंत्र अवश्य ही किचन के बाहर, गेट के ऊपर या फिर अपने पूजा घर में लगाएं। इसके लगाने से भी काफी वास्तु दोषों को दूर किया जा सकता है।
● घर का ब्रह्म स्थान या तो खाली हो या फिर वहां मंदिर का निर्माण करना चाहिए। यदि किसी घर में ब्रह्म स्थान में किचन है या फिर वह अन्य निर्माण से दूषित है तो, यह वास्तु अनुसार बड़ा दोष है। इसके समाधान के लिए भी आप हस्त निर्मित गणेश यंत्र अपने घर के मेन गेट के ऊपर या फिर पूजा घर में स्थापित करके काफी वास्तु दोषों को दूर कर सकते हैं।
● अब बात करें गैस बर्नर की तो किसी भी किचन के नॉर्थ ईस्ट यानि कि ईशान कोण में गैस बर्नर लगा हो तो यह आग और पानी का असंतुलन पैदा करता है। इससे घर में हमेशा लड़ाई - झगड़े रहते हैं। यह भी ध्यान रखें कि बर्नर किसी भी बीम के नीचे भी नहीं लगा होना चाहिए।
● ध्यान रखें कि किचन का दरवाजा घर के बाकी दरवाजों से थोड़ा छोटा होना चाहिए।
● वास्तु के अनुसार यदि किचन में किसी भी प्रकार का दोष पाया जाता है तो उसके उपाय हेतु घर के मुख्य द्वार के ऊपर या फिर पूजा घर में हस्त-निर्मित रत्न जड़ित विघ्न-विनाशक गणेश यंत्र लगाने से भी घर के कई वास्तु दोषों में कमी देखने को मिलती है। इन सभी यंत्रों के लिंक नीचे दिए जा रहे हैं। आप उस लिंक पर क्लिक करके इन यंत्रों के प्रोसीजर को वहां से देख सकते हैं।
● किचन चाहे जिस दिशा में भी दोष युक्त हो, आप उसमें गैस चूल्हे की पोजीशन हमेशा आग्नेय कोण में ही रखने का प्रयास करें।
● किचन कभी भी पूजा घर और टॉयलेट के ना तो ऊपर हो और ना ही इनके नीचे होनी चाहिए।
● किचन के दोष युक्त होने पर किचन के अगल-बगल में तुलसी के पौधे लगाना भी शुभ माना जाता है।
● वास्तु शास्त्र और जन्मकुंडली से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए आप हमसे ऑनलाइन हमारी वेबसाइट एस्ट्रोलॉजर योगेश डॉट कॉम के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं।