ज्योतिषीय द्वादश भाव और उपाय-
● दप्रथम भाव- इस भाव का सम्बन्ध शरीर से है ! यदि यह भाव पीड़ित हैं तो जातक या तो
मानशिक रूप से कमजोर रहेगा या एक के बाद एक बीमारी उसे लगती रहती है ,जातक भी
अपने शरीर की देखभाल ठीक से नहीं करता है।
उपाय- जातक अपने लग्नेश का रत्न धारण करे, लग्नेश से सम्बंधित आहार ज्यादा सेवन करे !
● दूसरा भाव- इस भाव के पीड़ित होने से परिवार व कुटुंब मे विवाद बने रहते हैं, क्लेश तथा
झगड़ा होता रहता है |
उपाय- नित्य अपनी आँख को शीतल जल से धोये तथा अपना अहंकार त्याग कर पूरे परिवार से
विनम्रता पूर्वक व्यवहार करे ! छोटों से प्यार,साथ वालो से मित्रता तथा बड़ो का सम्मान करे |
● तीसरा भाव- इस भाव के पीड़ित होने से भाई-बहनों का सुख नहीं मिलता या भाई-बहनों की
स्थिति ठीक नहीं होती हैं ! उनका स्वस्थ भी खराब रहता है |
उपाय-अपने से कम उम्र के लोगो को भाई /बहन मान उनसे राखी बँधवाए या बांधे तथा
सम्मान करे |
● चतुर्थ भाव- इस भाव के खराब होने से माता का सुख नहीं मिलता, माँ की तबीयत खराब
रहती हैं ,ससुर से संबंध ठीक नहीं होते तथा मन मे हमेशा अशांति बनी रहती हैं |
उपाय- अपनी माता का सम्मान करे उनकी सुख सुविधाओ का ध्यान रख सेवा करे ! यदि माँ
बीमार रहती हो तो वृद्ध स्त्रियो के चरण स्पर्श करे और विधवा आश्रम मे दान करे |
● पांचवा भाव- इस भाव के पीड़ित होने से प्रेम संबंधो मे असफलता,शिक्षा-बाधा व संतान सुख
मे कमी जैसी समस्याए होती हैं!
उपाय- गुरुवार को गरीब बच्चो को गुब्बारे दे तथा प्रत्येक वर्ष 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चो को
कपड़ा दान करे |
● छठा भाव– इस भाव के पीड़ित होने से मामा का सुख नहीं मिलता,रोग-ऋण व शत्रु पीछा
नहीं छोड़ते |
उपाय- मामा से संबंध मधुर बनाए तथा पूर्व दिशा की और सिरहाना करके सोये, गुस्सा ना करे
|
● सातवा भाव– इस भाव के पीड़ित होने से विवाह विलंब व वैवाहिक जीवन कष्टमय,साझेदारी
मे परेशनीया लगी रहती हैं|
उपाय- अपनी स्त्री/ पुरुष का सम्मान करे एक दूसरे की भावनाओ का ख्याल व सम्मान करे |
● आठवा भाव– इस भाव के पीड़ित होने से ससुराल पक्ष से तनाव, हर काम मे अडचन होती
हैं, आयु पर खतरा रहता हैं |
उपाय- ससुराल से मधुर संबंध बनाए, सास-ससुर का ख्याल रखे |
● नवम भाव- इस भाव के अशुभ प्रभाव मे होने से पौत्र व साले का सुख नहीं मिलता या इनसे
संबंध अच्छे नहीं होते,धार्मिक कार्यो मे रुचि नहीं रहती तथा भाग्य रूठा रहता हैं |
उपाय- ससुराल आते जाते रहो, साले से मधुर संबंध बनाए, रोज मंदिर जाए !
● दसवा भाव– यदि पिता का जीवन कष्टमय हो,रोजगार की समस्या लगी रहती हो,किसी भी
कार्य मे सफलता नहीं मिलती हो,काम बदलते रहते हो तो समझ लेना चाहिए की दसवा भाव
पीड़ित हैं |
उपाय- नित्य पिता की पूर्ण श्रद्धा से सेवा कर आशीर्वाद लिया करे तथा वृद्ध आश्रम मे दान
किया करे |
● एकादश भाव– इस भाव के पीड़ित होने से बड़े भाई का सुख नहीं मिलता,लाभ की प्राप्ति
नहीं होती तथा पुत्र का वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं रहता |
उपाय- अपने से उम्र मे बड़े लोगो का सम्मान करे तथा उनसे सलाह मशवरा किया करे |
● द्वादश भाव- इस भाव के खराब होने से खर्च मे अधिकता,चाचा से संबंधो मे खराबी,नेत्र दोष
व शयन सुख मे कमी रहती हैं |
उपाय- सप्ताह मे एक दिन जानवरो को हरा चारा खिलाये तथा जीवनसाथी के नाम से धन
जमा करे,चाचा का सम्मान करे |
■ ज्योतिष फलदायक न होकर फल सूचक है ! किसी भी निष्कर्ष पर पहुचने से पहले किसी
योग्य ज्योतिर्विद से परामर्श कर ही किसी निर्णय पर पहुचना चाहिए!