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Love Remedies
वैवाहिक जीवन दोष एवं किन योगों के कारण विवाह में विलंब या वैवाहिक जीवन में क्लेश, तनाव, मानसिक पीड़ा और तलाक जैसी स्थिति उत्पन्न होती है ? इन स्थितियों से बचाव के लिए किए जाने वाले उपायों का वर्णन।
● ज्योतिषशास्त्र में सभी विषयों के लिए निश्चित भाव निर्धारित किया गया है लग्न, पंचम, सप्तम, नवम, एकादश, तथा द्वादश भाव को प्रेम-विवाह का कारक भाव माना गया है यथा —
लग्न भाव — जातक स्वयं।
पंचम भाव — प्रेम या प्यार का स्थान।
सप्तम भाव — विवाह का भाव।
नवम भाव — भाग्य स्थान।
एकादश भाव — लाभ स्थान।
द्वादश भाव — शय्या सुख का स्थान !
वहीं सभी ग्रहो को भी विशेष कारकत्व प्रदान किया गया है। यथा “शुक्र ग्रह” को प्रेम तथा विवाह का कारक माना गया है। स्त्री की कुंडली में “ मंगल ग्रह “ प्रेम का कारक माना गया है।
प्रेम विवाह के ज्योतिषीय सिद्धांत -
● पंचम और सप्तम भाव तथा भावेश के साथ सम्बन्ध प्रेम विवाह कराने में सक्षम होता है।
● पंचम भाव प्रेम का भाव है और सप्तम भाव विवाह का अतः जब पंचम भाव का सम्बन्ध सप्तम भाव भावेश से होता है तब प्रेमी-प्रेमिका वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं।
● पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा लग्नेश का किसी भी प्रकार से परस्पर सम्बन्ध हो रहा हो तो जातक का प्रेम- विवाह में परिणत होगा, यदि अशुभ ग्रहो का भी सम्बन्ध बन रहा हो तो वैवाहिक समस्या आएगी।
● लग्नेश-पंचमेश-सप्तमेश-नवमेश तथा द्वादशेश का सम्बन्ध भी अवश्य ही प्रेमी प्रेमिका को वैवाहिक बंधन बाँधने में सफल होता है।
● प्रेम और विवाह के कारक ग्रह शुक्र या मंगल का पंचम तथा सप्तम भाव-भावेश के साथ सम्बन्ध होना भी विवाह कराने में सक्षम होता है।
● सभी भावो में नवम भाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है नवम भाव का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सम्बन्ध होने पर माता-पिता का आशीर्वाद मिलता है और यही कारण है की नवम भाव -भावेश का पंचम- सप्तम भाव भावेश से सम्बन्ध बनता है तो विवाह भागकर या गुप्त रूप से न होकर सामाजिक और पारिवारिक रीति-रिवाजो से होती है।
प्रेम योग और फल-
● शुक्र प्रेम और काम का कारक ग्रह होता ही और चंद्र मन एवं स्त्री का कारक होता है।
● चंद्र और शुक्र का संबंध सप्तमेश के साथ हो और पाप ग्रहों की दृष्टि या युति हो तो एकाधिक संबंध होते हैं।
● शुक्र यदि मंगल से संबंध करता हो या मंगल की राशि में होकर पापाक्रांत हो तो व्यक्ति की वासना में प्रखर उत्तेजना का समावेश होता है।
● शुक्र-मंगल के संबंध को अतिकामातुर योग कहा जाता है क्योंकि शुक्र रति-क्रीड़ा एवं मंगल उत्तेजना का कारक होता है।
● अगर शुक्र और चंद्र पर राहु की दृष्टि हो साथ ही कर्क राशिगत मंगल का संबंध हो जाए तो व्यक्ति विवाहित स्त्री से संबंध रखता है।
● यदि लग्नेश सप्तम में हो और सप्तमेश लग्न में हो, तो व्यक्ति के चरित्र का पतन होता है।
● सप्तमाधिपति या शुक्र अथवा ये दोनों द्विस्वभाव राशिगत हों या द्विस्वभाव नवमांश में हो तो भी एक से अधिक विवाह या संबंध होते हैं अगर सप्तम भाव और सप्तमेश पर राहु का प्रभाव हो तो ये योग बन जाता है।
● यदि किसी कन्या की कुंडली में सप्तम स्थान पर राहु, शुक्र एवं मंगल हो, तो अल्प उम्र में यौन आनंद को उपभोग करके जीवन को नष्ट करती है।
● कुंडली में यदि सप्तमेश के साथ मंगल का संबंध हो तो अनेक संबंधों का योग होता है।
● यदि कन्या की कुंडली में छठे भाव में मंगल, सप्तम भाव में राहु, और अष्टम में शनि हो, सप्तमेश निर्बल हो तो विधवा योग होता है। दो या तीन विवाह के बाद दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है।
उपायों का वर्णन--
● मंगल दोष से ग्रस्त जातका को 108 दिनों तक नियमित रूप से एक पंचमुखी दीप प्रज्वलित कर श्री मंगल चंडिका स्तोत्र का 7 अथवा 21 बार निष्ठापूर्वक पाठ करना चाहिए।
● दुर्गा-सप्तशती का स्वयं पाठ करें, दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा !
● डॉल्फिन मछलियां अपने जीवनसाथी को भेंट में देने से वैवाहिक जीवन में मधुरता एवं सद्भाव की वृद्धि होती है। डॉल्फिन मछलियों का चित्र या मूर्ति शयन कक्ष में पूर्व या पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए।
● बत्तख का जोड़ा नवविवाहित जोड़े के शयन कक्ष में रखने से जीवनपर्यंत एक दूसरे के प्रति प्रेम बना रहता है।
● जिस वर या कन्या की शादी नहीं हो रही हो, उसके शयन कक्ष में दक्षिण-पश्चिम दिशा में लव बर्ड्स (प्रेमी परिंदों) का चित्र या मूर्ति रखें, विवाह शीघ्र होगा।
● विवाह योग्य कन्या को पीले या हल्के गुलाबी रंग के कपड़े पहनाने चाहिए।
● विवाह योग्य लड़के या लड़कियों को अपने कक्षों में जोड़ों में विचरण करते हुये सुंदर पक्षियों के या भगवान शंकर व पार्वती के सुंदर युगल चित्र लगाने चाहिए।
● अगर पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा होता है तो पति के हाथ से रोज़ चने भिगोकर गाय को खिलाएं।
● शनिवार को रात को सोते बक्त सात लौंग लेकर उसे पति के तकिये के नीचे रखें और अगले दिन रविवार को इन्हें कपुर डाल कर जला दें, आपको ये सात शनिवार तक लगातार करना है !
● विवाहित स्त्री अपने दाम्पत्य जीवन को खुशहाल बनाने के लिए यदि प्रतिदिन केले के वृक्ष का पूजन करे साथ ही किसी वृद्धा स्त्री का आशीष ले तो उसे सौभाग्य प्राप्त होता है।
● यदि पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में कलह हो तो अपने शयन कक्ष में पति अपने तकिये के नीचे लाल सिंदूर रखे एवं पत्नी अपने तकिये के नीचे कपूर रखें। प्रातः काल पति आधा सिंदूर घर में कहीं भी गिरा दे एवं आधे से अपनी पत्नी की मांग भर दें। पत्नी कपूर जला दे। इससे पति-पत्नी में प्रेम बना रहता है।
पति-पत्नी का रूम--
● अपना बिस्तर खिड़की के पास कभी भी न लगाएं। इससे पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव और आपसी असहयोग की प्रवृत्ति बढ़ती है। फिर यदि खिड़की के पास बिस्तर लगाना पड़े तो अपने सिरहाने और खिड़की के बीच पर्दा जरूर डालें। इससे नकारात्मक ऊर्जा रिश्तों पर असर नहीं कर पाएगी।
● दंपत्ति के पलंग के नीचे कुछ भी सामान न रखा जाए। जगह को खाली रहने दें। इससे आपके बेड के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा बिना किसी बाधा के प्रवाहित हो सकेगी।
● बेड के सामने या कहीं भी ऐसी जगह शीशा नहीं लगाना चाहिए, जहां से आपके बेड का प्रतिबिंब दिखता हो। इससे संबंधों में दरार आती है और आप अनिद्रा के भी शिकार हो सकते हैं। यदि इसे टाला न जा सके तो आप शीशे पर एक पर्दा डालकर रखें।
● किसी भी कक्ष या शयन कक्ष में दरवाजे के पीछे कपडे आदि कुछ भी लटकाना नही चाहिए।