Contact Me

Dr. Yogesh Vyas

Mobile: +91 8696743637, 9119354637
Email: aacharyayogesh@gmail.com

शुभ संयोग में शारदीय नवरात्र

पितृ पक्ष के खत्म होते ही 15 अक्टूबर 2023 से शारदीय नवरात्र आरंभ हो रहे हैं। इस बार नवरात्रों में बेहद दुर्लभ शुभ संयोग एकसाथ बनने जा रहे हैं। साल में नवरात्रि 4 बार मनाई जाती है। अश्विन नवरात्र को शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। शारदीय नवरात्रि के 9 दिन शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा होती है। नवरात्रि में माता दुर्गा की उपसाना करने से हर संकट का नाश होता है, 9 ग्रहों की अशुभता दूर होती है और जीवन सुखमय बनता है। इस साल शारदीय नवरात्रि रविवार 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रही है। 23 अक्टूबर 2023 को नवरात्रि समाप्त होगी और 24 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

*कलश स्थापना और पूजन –

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना शुभ मुहूर्त में की जाती है। पहले दिन यानि प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापित कर मां दुर्गा का आव्हान किया जाता है। शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य, पूजा और अनुष्ठान हमेशा सफल होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व रविवार 15 अक्तूबर से शुरू हो रहा है। घटस्थापना में मिट्टी का पात्र और जौ के दाने, शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमे पत्थर नहीं हो, शुद्ध जल से भरा हुआ मिट्टी, सोना, चांदी, तांबा या पीतल का कलश, मोली, अशोक या आम के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए मिट्टी का ढक्कन, साबुत चावल, एक पानी वाला नारियल, पूजा में काम आने वाली सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्के, लाल कपड़ा या चुनरी,मिठाई, लाल गुलाब के फूलो की माला आदी का प्रयोग करना चाहिए। नवरात्र में अखंड ज्योत जलाने से घर में हमेशा मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। हर दिन नवरात्रों में इस कलश की पूजा करे !

● नवार्ण मन्त्र- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे ! नौ अक्षरों वाले इस नवार्ण मंत्र के एक-एक अक्षर का संबंध दुर्गा की एक-एक शक्ति से है और उस एक-एक शक्ति का संबंध एक-एक ग्रह से है। नवार्ण मंत्र का जाप 108 दाने की माला पर कम से कम तीन बार अवश्य करना चाहिए। ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर जब सक्रिय हो जाते हैं, तब उसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है। ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा की जाती है। इस नवार्ण मंत्र के तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं तथा इसकी तीन देवियां महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती हैं, दुर्गा की यह नवों शक्तियां धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चार पुरुषार्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती हैं।

● इस वर्ष मां दुर्गा की सवारी- शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा पृथ्वी लोक में वास करती हैं। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही है। हाथी को सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मां दुर्गा पृथ्वी लोक के लिए सुख-समृद्धि और खुशहाली के लेकर आएंगी।
 जिस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, उस वर्ष अच्छी बारिश होती है इसलिए शारदीय नवरात्रि किसानों के लिए शुभ फलदायी है।

● माता दुर्गा के नौ रूपों का पूजन 2323-

1- 15 अक्टूबर, रविवार: घटस्थापना और शैलपुत्री पूजा- श्री दुर्गा का प्रथम रूप श्री शैलपुत्री हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं। नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है।
2-16 अक्टूबर, सोमवार, ब्रह्मचारिणी पूजा - श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी है। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। अतः ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम से विख्यात हैं। नवरात्रि के द्वितीय दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है।
3-17 अक्टूबर, मंगलवार, चन्द्रघंटा पूजा- श्री दुर्गा का तृतीय रूप श्री चंद्रघंटा है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन और अर्चना किया जाता है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
4- 18 अक्टूबर, बुधवार, कूष्माण्डा पूजा- श्री दुर्गा का चतुर्थ रूप श्री कूष्मांडा हैं। अपने उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है। नवरात्रि के चतुर्थ दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। श्री कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं।
5- 19 अक्टूबर, गुरुवार, स्कन्दमाता पूजा- श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं।
6- 20 अक्टूबर, शुक्रवार, कात्यायनी पूजा- श्री दुर्गा का षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के षष्ठम दिन इनकी पूजा और आराधना होती है।
7- 21 अक्टूबर, शनिवार, कालरात्रि पूजा - श्रीदुर्गा का सप्तम रूप श्री कालरात्रि हैं। ये काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है। इस दिन साधक को अपना चित्त मध्य ललाट में स्थिर कर साधना करनी चाहिए।
8- 22 अक्टूबर, रविवार , मां महागौरी की पूजा- श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इसलिए ये महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के अष्टम दिन इनका पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
9-23 अक्टूबर, सोमवार, मां सिद्धिदात्री की  पूजा- श्री दुर्गा का नवम् रूप श्री सिद्धिदात्री हैं। ये सब प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है।
● 24 अक्टूबर 2023 दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

● दुर्गा सप्तशती के चमत्कारी मंत्र-

1- आपत्त्ति से निकलने के लिए- शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तु ते ॥
2- भय का नाश करने के लिए- सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते । भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तु ते ॥
3- जीवन के पापो को नाश करने के लिये- हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् । सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
4- बीमारी महामारी से बचाव के लिए- रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् । त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
5- पुत्र रत्न प्राप्त करने के लिए- देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते । देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
6- इच्छित फल प्राप्ति के लिए- एवं देव्या वरं लब्ध्वा सुरथः क्षत्रियर्षभः !!
7- महामारी के नाश के लिए- जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तु ते ॥
8- शक्ति और बल प्राप्ति के लिये- सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि । गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तु ते ॥
9- इच्छित पति प्राप्ति के लिये- ॐ कात्यायनि महामाये महायेगिन्यधीश्वरि । नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः ॥
10- इच्छित पत्नी प्राप्ति के लिये- पत्नीं मनोरामां देहि मनोववृत्तानुसारिणीम् । तारिणीं दुर्गसंसार-सागरस्य कुलोभ्दवाम् ॥

● व्यापार अथवा करियर में धन लाभ के लिए- व्यक्ति को नवरात्रि में अपने पूजा घर में हस्त निर्मित मां दुर्गा बीसा यंत्र, लक्ष्मी बीसा यंत्र, संपूर्ण वास्तु यंत्र, हस्त निर्मित एवं रत्न जड़ित संपूर्ण श्री यंत्र के साथ ही गोमती चक्र युक्त कछुआ और गोमती चक्र युक्त स्वास्तिक का प्रयोग करना भी बेहद शुभ और उत्तम फलदायक माना जाता है।

🪶 डॉ योगेश व्यास, (जयपुर), ज्योतिषाचार्य, (टापर), नेट ( साहित्य एवं ज्योतिष ), पीएच.डी (ज्योतिषशास्त्र) Website- www.astrologeryogesh.com Mob- 8058169959

>