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Dr. Yogesh Vyas

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वास्तु अनुरूप बच्चों का कमरा(Vastu Compliant Kids Room)-

आज अभिभावक बच्चों की शिक्षा को लेकर काफी सजग हैं क्योंकि, आज शिक्षा धन कमाने और जीवन को उन्नत बनाने का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है। किसी भी घर में बच्चों के कमरे का वास्तु उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि घर के मुखिया का बेडरूम। ऐसे समय में बच्चों की शिक्षा के लिए वास्तु शास्त्र की सहायता लेना काफी लाभदायक सिद्ध हो रहा है। जब बच्चों का कमरा वास्तु के अनुरूप होगा तो उनका शरीर, मन व मस्तिष्क भी स्वस्थ रहेगा और उनको शिक्षा, खेल व ललित कलाओं में भी श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त होंगे। बच्चों का आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने के लिए बच्चों के कमरे में उनका पलंग, स्टडी टेबल, उनके कमरे का रंग, दीवारों पर लगे हुए चित्र, कमरे की रोशनी, खिड़कियां, घड़ी, पलंग, दरवाजे इत्यादि सब कुछ वास्तु के अनुसार ही व्यवस्थित होना चाहिए।

घर में बच्चों का कमरा पूर्व दिशा, उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण यानि उत्तर -पूर्व दिशा में होना शुभ है लेकिन, बच्चों का कमरा दक्षिण दिशा, आग्नेय कोण यानि दक्षिण -पूर्व एवं नैऋत्य कोण यानि कि दक्षिण- पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। बच्चे के कमरे में कोई बीम या क्रॉस बीम नहीं होना चाहिए इस बीम से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा बच्चे को मानसिक रूप से कमजोर बनाती है। उनके कमरे का प्रवेश द्वार पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो और कमरे का शौचालय एवं स्नानघर पश्चिम अथवा उत्तर- पश्चिम दिशा में होना चाहिए। सोते समय बच्चों का सिर पूर्व दिशा में होने पर उनकी बुद्धि तेज होती है। बच्चों की पढ़ने की कुर्सी पूर्व अथवा उत्तर दिशा में और पढ़ते समय मुंह पूर्व दिशा में होने पर चीजों को समझने और याद करने में काफी आसानी होती है। बच्चों के कमरे में ज्ञान के कारक गुरु ग्रह का हस्तनिर्मित वैदिक यंत्र अवश्य लगाना चाहिए। बच्चों के कमरे में किताबों की अलमारी दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। छात्रों के शयनकक्ष व पर्दों और चादर का रंग भी हल्का ही रखना चाहिए। छात्रों के कमरे में जहां प्रकाश ज्यादा रहता है उसी जगह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर उनकी डेस्क या टेबल रखनी चाहिए और उस टेबल पर रत्न जड़ित पॉजिटिव एनर्जी टावर रखने से उस पूरे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहता है। छात्रों के कमरे में दीवार घड़ी भी पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए इसी प्रकार भोजन करते समय छात्रों को उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इस प्रकार छात्रों के कमरे को वास्तु के अनुरूप बनाकर आप भी उनके कैरियर और जीवन को उन्नत बना सकते हैं।

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