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Dr. Yogesh Vyas

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ऑफिस और दुकान में व्यापार वृद्धि के चमत्कारिक वास्तु टिप्स--

नमस्कार मित्रो मैं डा योगश व्यास, आज बात करते हैं बहुत ही खास विषय पर जिसका नाम है- ऑफिस और दुकान का वास्तु।।

आज इस तेज रफ्तार वाले आधुनिक युग में ऑफिस, दुकान या अपने कार्यस्थल पर वास्तु के नियमों को बेहद प्रधानता दी जा रही है। मित्रो जीवन का बहुत बडा हिस्सा व्यक्ति का इन्ही स्थानों पर गुजरता है तो फिर, आपके ऑफिस या दुकान का वास्तु भी बहुत ही खास और शानदार होना चाहिए।

वैसे तो व्यक्ति की कुंडली में प्रचुर धन कमाने के लिए उसकी कुंडली के लग्न, धन भाव, भाग्य भाव, दशम व एकादश भाव के साथ ही शुक्र, बुध व चंद्रमा का बली होना आवश्यक होता है, फिर उसके साथ ही बताये जा रहे कुछ महत्वपूर्ण और आसान वास्तु टिप्स को अपनाकर भी व्यक्ति अपने व्यापर में सकारात्मक ऊर्जा के साथ ही वृद्धि भी प्राप्त कर सकता है।

तो आइये मित्रो कुंडली के ग्रहों के साथ ही कुछ चमत्कारिक और आसान वास्तु टिप्स के विषय में जानते हैं।

ऑफिस के लिए कुछ आसान वास्तु टिप्स—

■ आजकल अधिकतर ऑफिसों का डिजाइन वास्तुशिल्पी ही करते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार ऑफिस की बिल्डिंग के लिए उसका प्लॉट चौकोर या आयताकार होना लाभकारी होता है ! अनियमित आकार के भूखंडों से बचने का सुझाव ग्रंथों में दिया है !

● ओफिस में पीठ के पीछे पुस्तक की अलमारी न रखे ।

● कार्यालय या ओफिस द्वार पर देहली वर्ज्य है, देहली से अवरोध उत्पन्न होता है ।

● कार्यालय या ओफिस में आगन्तुको की कुर्सीयो से अपनी कुर्सी कुछ उंची रखे ।

● वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में रखना अच्छा माना जाता है।

● ऑफिस में आने वाले लोगों के लिए मालिक या अधिकारियों के केबिन के बाहर सौफासेट या कुर्सियों को पूर्व या उत्तर दिशा की दीवार से सटा कर रखा जा सकता है।

● ऑफिस में किचेन, पेंट्री या कैंटीन- दक्षिण-पूर्व दिशा में बनाना वास्तु की दृष्टि से अच्छा माना जाता है।

● ऑफिस का टायलेट उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व दिशा के अलावा अन्य किसी भी दिशा में बनाया जा सकता है।

● ऑफिस का द्वार किसी अन्य ऑफिस के सामने, कैन्टीन या टेलीफोन बूथ के पास होना शुभ नहीं है।

● ऑफिस में फ़ाइल की अलमारी दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही होनी चाहिए !

● ऑफिस की दीवारों का रंग हल्का हो ! परदे टेबल क्लॉथ सब हलके रंग के हों ! ऑफिस में डार्क कलर करने से वहा काम करने वाले कर्मचारियों में आपसी मनमुटाव देखने को मिलता है !

● ऑफिस में हिंसक पशु-पक्षी की मूर्ती या फोटो एवं उदासी भरे या रोते हुए चेहरे या फिर डूबता सूरज या डूबते जहाज की फोटो लगना भी शुभ फलदायी नहीं माना जाता है।

● यदि ऑफिस में ही Toilet बनाना हो तो इसको ऑफिस के उत्तर-पश्चिम में बनाये!

● गलती से Toilet यदि ऑफिस के उत्तर-पूर्व में हो तो वहां एक हस्त निर्मित रत्न जड़ित वास्तु मिरर अवश्य लगायें।

● ऑफिस के Center यानी ब्रह्मस्थान में कोई बीम या दीवार नहीं होनी चाहिए!

● ध्यान रखें कि ईशान-कोण में कोई Store Room नहीं होना चाहिए !

● ऑफिस के व्यवस्थित व सकारात्मक वास्तु के लिए सम्पूर्ण हस्त निर्मित व आठ दिशाओं के रत्नों से युक्त सम्पूर्ण वास्तु यन्त्र अवश्य लगायें।

● Office Entrance के बाहर Natural Plants जरूर लगाये !

● यदि आपका ऑफिस उत्तर या पूर्व facing न हो तो वहाँ हस्त निर्मित रत्न युक्त गुरु या शुक्र का यन्त्र लगाकर ऑफिस का वास्तु आवश्य ही ठीक करें।

ऑफिस के बॉस या कंपनी के मालिक का कमरा कैसा होना चाहिए-

● पहले तो व्यवसाय में तरक्की के लिए आपकी कुंडली में द्वितीयभाव, नवम, दशम व एकादश भाव का मजबूत होना आवश्यक है, इसके बाद-

● ऑफिस के बॉस या कंपनी के मालिक के बैठने का स्थान ऐसा होना चाहिए, जहां किसी आगंतुक की दृष्टि सीधे उसपे न पड़े ! इसके लिए ग्रंथों में दक्षिण-पश्चिम कोने में केबिन बनाने का सुझाव दिया है और बॉस का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की और अच्छा माना गया है ! उत्तर-पूर्व में टॉयलेट ना हो ! उत्तर-पूर्व में भगवान जी को रखें ! बॉस केबिन में यदि chair के पीछे खिड़की हो तो उसे बंद करें ! बास चेयर के पीछे हमेशा सॉलिड दीवार होनी चाहिये ! बॉस केबिन में Indoor Natural Plant जरूर लगाए! बॉस केबिन में साउथ दीवार पर घड़ी नहीं लगानी चाहिए और बॉस किसी भी बीम के नीचे ना बैठे ! बॉस को प्रवेश द्वार के ठीक सामने भी अपनी टेबल नही लगानी चाहिए।

● बॉस या मालिक की कुंडली में बुध व शुक्र की केंद्र व त्रिकोण में युति या मजबूत स्थिति भी व्यापार वृद्धि में चमत्कारिक भूमिका निभाती है।

● ऑफिस में काम करते वक्त मुख्य दरवाजे या खिड़की की ओर पीठ करके न बैठें अन्यथा आप चुगलियों का शिकर बनेंगे और आपका अपने उच्चाधिकारियों, स्टाफ और सहकर्मियों से झगड़ा भी रह सकता है ! यदि आपकी पीठ के पीछे कोई खिड़की हो तो उसे बन्द ही रखें। साथ ही बीम के नीचे भी कभी न बैठें ।

● अपने केबिन के दक्षिण-पश्चिम कोने में बैठें। कम्प्यूटर का मॉनिटर दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर रखें। ध्यान रहे कम्प्यूटर पर काम करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रहना चाहिए।

● अपने केबिन का दक्षिण-पश्चिम कोना कभी भी खाली न रहने दें। वहां फाइल कैबिनेट या कोई पौधा रखें।

● ऑफिस में स्थिरता के लिए अपने पीछे की दीवार पर पर्वतों या गगनचुंबी भवनों की तस्वीर लटकाएं।

● ऑफिस में ताजा फूल और पौधे रखना चाहिए क्योंकि, ये सकारात्मक ऊर्जा के साथ ही कार्यालय के परिवेश को भी खुशनुमा बना देते हैं।

सीनियर और जूनियर स्टाफ के बैठने की जगह-

● ऑफिस के सीनियर स्टाफ के लिए दक्षिण और पश्चिम दिशा में उत्तर और पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना वास्तुसम्मत है ! मार्केटिग या सेल्स वाले वायव्य कोण में बैठें ! केशियर का उत्तर दिशा में बैठना अच्छा रहता है।

दुकान के लिए सरल वास्तु टिप्स-

● यदि दुकान मालिक का पराक्रम भाव मजबूत हो और वहाँ कोई पाप ग्रह भी बैठा हो तो निश्चित ही आप अपने व्यापार में रिस्क लेने से घवरायेंगे नहीं।

● दुकान या शोरूम का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना शुभ फल देता है।

● दुकान के अंदर समान रखने के लिए अलमारी आदि पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनवानी चाहिए।

● दुकान में ईशान या आग्नेयकोण (उत्तर-पूर्व या दक्षिण-पूर्व) में दुकान की बिक्री का ज्यादा सामान नहीं रखना चाहिए।

● दुकान की तिजोरी को दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ है क्यूंकि, ऐसा करने पर तिजोरी उत्तर दिशा में खुलेगी।

● गल्ले, तिजोरी, मालिक या मैनेजर की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं हो। यह व्यवसाय में अच्छी प्रगति नहीं होने देता है।

● भारी समान को दुकान के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए।

● यदि दुकान में टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते हैं, तो दक्षिण-पूर्व दिशा सबसे शुभ है।

● दुकान निर्माण में ध्यान दें कि दुकान के द्वार की ओर ढ़लान नही होनी चाहिए। ऐसा होने पर यह दुकान आपके ग्राहकों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, और वास्तु की दृष्टि से भी यह ठीक नहीं होती है।

● दुकान के ईशान कोण में इष्ट देवी- देवताओं के साथ जल रखना सकारात्मक ऊर्जा को बढाता है।

● यदि आपकी कुंडली में द्वादशेश का मजबूत सम्बन्ध दशम व एकादश भाव या भावेश से होगा तो आप विदेश से भी धन कमा सकते हैं।

● दुकान के मालिक को दुकान की पश्चिम दिशा में पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

● दुकान के सामने कोई भी पेड़, किसी भी प्रकार का खम्बा या सीढ़ी हो तो आपको हस्त निर्मित सम्पूर्ण रत्न जड़ित वास्तु मिरर अवश्य लगाना चाहिए।

● दुकान में कार्यरत कर्मचारियों का मुख अगर उत्तर दिशा या पूर्व दिशा की ओर होता है तो यह व्यापार के लिए बेहद लाभदायक होता है और इसके प्रभाव से ग्राहकों और मालिक के व्यवहार में सुधार आता है ।

● यदि दुकान में कार्य करने वाले कर्मचारियों का मुख पश्चिम या दक्षिण दिशा में होता है तो इसका प्रभाव नकारात्मक होता है ऐसे में धन का व्यय और कष्टदायी परिणाम भी आते हैं।

● अगर दुकान का आकार वर्ग या आयताकार है तो सबसे अच्छा माना जाता है। इस आकार की दुकान अधिक आर्थिक लाभ प्रदान करती है। ● दुकान के प्रमुख प्रवेश द्वार पर चौखट न बनाएं, यह व्यवसाय में अच्छी प्रगति नहीं होने देता है।

● अपनी तिजोरी और अपनी मुख्य खाता-बही में हस्त निर्मित रत्न जड़ित लक्ष्मी बीसा या दुर्गा बीसा यंत्र जरूर रखें और ध्यान रखें कि आपकी केश की तिजोरी कभी भी पूरी तरह से खाली न हो।

● आप जिस गद्दी पर बैठते हैं, उस पर कभी भी भोजन न करें और न ही उस पर सोयें। ऐसा करना आपके व्यापार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

● यदि धनेश व लाभेश मजबूत होकर एक दूसरे के घरों में बैठे हों तो ऐसी ग्रह स्थिति व्यापार वृद्घि व धन लाभ में महत्वपूर्ण सावित होती है।

● दुकान में अगर आप शौचालय बनवाने वाले हैं तो हमेशा उत्तर- पूर्व में शौचालय का बनवाने से बचें अन्यथा यह आपको आर्थिक और शारिरिक क्षति पहुंचा सकता है।

● दुकान में एकाउंट्स का कार्यालय उत्तर दिशा में श्रेष्ठ है और यह दिशा इस कार्य के साथ-साथ सभी प्रकार के लिखा-पढ़ी वाले कार्यों के लिए उपयुक्त है। दुकान में मुनीम या क्लर्क इसी दिशा में बैठना चाहिए। ● आजकल दुकान के निर्माण में शीशे का प्रयोग बढ़ गया है। अगर आप भी अपनी दुकान में शीशे लगवाना चाहते हैं तो दुकान के पूर्व और उत्तर दिशा में शीशे के प्रयोग करना सबसे उचित होता है। ● अपनी दुकान, ऑफिस या कार्य स्थल के मुख्य द्वार पर हस्त निर्मित रत्न जड़ित गणेश यन्त्र की स्थापना अवश्य करें, यह यन्त्र विघ्नों का हरण करने के साथ ही व्यापार में वृद्धि करने वाला होता है।

● दुकान खोलने के तुरंत बाद और शाम के वक्त यदि बहुत ज्यादा जरूरी ना हो तो उस समय दान ना दें और ये भी ध्यान रखें कि कभी भी दान बेमन से या फेंककर नहीं देना चाहिए।

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